नई दिल्ली. सिलक्यारा-बारकोट सुरंग के एक हिस्सा ढहने के बाद इसमें 41 मजदूर 17 दिनों तक फंसे रहें. इन मजदूरों को मंगलवार शाम को सही सलामत निकाल लिया गया. मजदूरों को निकालने के बाद सूरज की रोशनी या ताजी हवा के बिना एक बंद जगह में फंसे होने के कारण उन्हें चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे की चिकित्सा निगरानी में रखा गया है. इस अस्पताल में 41 बिस्तरों का एक अलग खंड स्थापित किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि डॉक्टरों की सिफारिश के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी. धामी ने आगे कहा ‘चूंकि फंसे हुए श्रमिक अभी बहुत ही असामान्य माहौल से बाहर आए हैं, इसलिए उन्हें अभी निगरानी में रखा जाएगा और डॉक्टरों की सिफारिशों के आधार पर हम आगे की कार्रवाई तय करेंगे.’
15 दिनों की सवैतनिक छुट्टी?
उन्होंने पुष्टि की कि उनमें से किसी को भी कोई चिकित्सीय समस्या नहीं है और सभी का स्वास्थ्य ठीक हैं. उन्होंने आगे कहा कि स्ट्रेचर की उपलब्धता के बावजूद, किसी भी कर्मचारी ने उनका उपयोग नहीं किया. इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने बचाए गए प्रत्येक मजदूर को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की. उन्होंने कहा कि ‘हमारे प्रत्येक श्रमिक भाई के लिए, हमने उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रत्येक को 1 लाख रुपये की आर्थिक मदद की घोषणा की है. हम बुधवार को चेक सौंप देंगे. हम NHIDCL से उन्हें 15 दिनों की सवैतनिक छुट्टी देने का भी अनुरोध करेंगे ताकि वे अपने घर वापस जा सकें.’
सूत्रों के मुताबिक, झारखंड और ओडिशा सरकारें अपने राज्य से बचाए गए श्रमिकों को हवाई मार्ग से वापस लाने की योजना बना रही हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और अन्य सरकारें मेडिकल जांच पूरी होने के बाद इस पर फैसला लेंगी. बचाए गए श्रमिकों में झारखंड से 15, उत्तर प्रदेश से 8, ओडिशा और बिहार से 5-5, पश्चिम बंगाल से 3, उत्तराखंड और असम से 2-2 और हिमाचल प्रदेश से 1 शामिल हैं.
ऑपरेशन में शामिल सभी बचावकर्मी और विशेषज्ञ, साथ ही देश भर से बुलाई गई मशीनें भी वापस लौटना शुरू कर देंगी. धामी ने यह भी पुष्टि की कि वे उत्तराखंड में ऐसी सभी सुरंगों का आकलन करेंगे, और भारत सरकार पहले ही सुरक्षा ऑडिट की घोषणा कर चुकी है.