जांजगीर चाम्पा (दिनेश सोनी)…नगर के दीनदयाल कालोनी खोखराभाटा में आज दोपहर एक अजीब तरह के गिरगिट देख कालोनीवासियों में कौतूहल भर गया। देखते ही देखते यंहा लोगो की भीड़ जमा हो गई। बताया गया कि इस तरह के गिरगिट विदेशों में पाया जाता है। गिरगिट का रंग हरे रंग का है.इस गिरगिट का नाम घूंघट वाला गिरगिट (चामेलियो कैलिप्ट्रेटस) यमन और सऊदी अरब में अरब प्रायद्वीप के मूल निवासी गिरगिट (परिवार चामेलोनिडे) की एक प्रजाति है। अन्य सामान्य नामों में शंकु-सिर गिरगिट, यमन गिरगिट और यमनी गिरगिट शामिल हैं। वे हल्के हरे रंग में पैदा होते हैं और उनके सिर पर उनके विशिष्ट आवरण नहीं होते हैं। यह गिरगिट वर्षावनों से लेकर मरुस्थल तक विश्व के कई गरम क्षेत्रों में पाई जाती है। इनकी जातियाँ अफ़्रीका, माडागास्कर, स्पेन, पुर्तगाल, दक्षिण एशिया आदि में पायी जातीं हैं। ये गिरगिट यंहा कैसे पहुंचा? इसकी जानकारी किसी को नही है।
दीनदयाल कालोनी में बुधवार की दोपहर केंद्रीय विद्यालय से लौटी 7वी की छात्रा कु अदिति सोनी की नजर अचानक इस पर पड़ी। इसके बाद उसने इसकी जानकारी आसपास के लोगों को दी। अजीब तरह से दिख रहे इस गिरगिट को लोग पहले मारने का प्रयास कर रहे थे। इस पर अदिति सोनी ने उन्हें रोका और बताया कि यह हानि नही पहुंचाता है। इधर इसकी जानकारी जैसे ही कालोनीवासियों को हुई वे विदेशी गिरगिट देखने पहुंचने लगे। कालोनी में इसकी खबर आग की तरह फैल गई और लोग बड़ी संख्या में इसे देखने पहुंच गए। लोगो की बढ़ती भीड़ के बीच यह विदेशी गिरगिट हरे पेडों में चढ़कर गायब हो गया।
विदेशी नस्ल का है गिरगिट..
इस गिरगिट का नाम घूंघट वाला गिरगिट (चामेलियो कैलिप्ट्रेटस) यमन और सऊदी अरब में अरब प्रायद्वीप के मूल निवासी गिरगिट (परिवार चामेलोनिडे) की एक प्रजाति है। अन्य सामान्य नामों में शंकु-सिर गिरगिट, यमन गिरगिट और यमनी गिरगिट शामिल हैं। वे हल्के हरे रंग में पैदा होते हैं और उनके सिर पर उनके विशिष्ट आवरण नहीं होते हैं। यह गिरगिट वर्षावनों से लेकर मरुस्थल तक विश्व के कई गरम क्षेत्रों में पाई जाती है। इनकी जातियाँ अफ़्रीका, माडागास्कर, स्पेन, पुर्तगाल, दक्षिण एशिया आदि में पायी जातीं हैं। इन्हें मानवों द्वारा उत्तर अमेरिका में हवाई, कैलिफ़ोर्निया और फ़्लोरिडा भी ले जाया गया है और अब यह वहाँ भी पाई जाती हैं। जानकारों ने बताया कि इस तरह के गिरगिट विदेशों में खासकर अमेरिका, कनाडा में बहुतायत संख्या में पाए जाते हैं। यंहा तक कि लोग इन्हें पालते भी हैं। जांजगीर में यह कँहा से और कैसे आया कहा नही जा सकता।