नई दिल्ली। शिक्षा मंत्रालय की तरफ से शैक्षणिक संस्थानों के खुलने को लेकर संशोधित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। अब स्कूली छात्रों के फिजिकल क्लास में शामिल होने के लिए स्कूलों को पैरेंट्स की अनुमति की जरूरत है या नहीं, इस बात का फैसला राज्य कर सकेंगे। इससे पहले गाइडलाइंस में कहा गया था कि माता-पिता को लिखित में इस बात की सहमति देनी होगी कि ‘वे बच्चे को स्कूल भेजना चाहते हैं या नहीं।’ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से संशोधित दिशानिर्देशों को स्कूल SOP में शामिल करने के लिए कहा गया है। इन SOPs को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अक्टूबर 2020 और इसके बाद बीते साल फरवरी में जारी किया था।
ऐसे में वैश्विक आर्थिक चुनौती और राष्ट्रीय बजट को अलग-अलग करके नहीं दिखा जा सकता। बजट का अगर सूक्ष्म बारीकी से अध्ययन किया जाए। तो इसमें कोरोना काल में उभरी चुनौती और पीएम नरेंद्र मोदी का भारतीय अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था बनाने की संकल्पना से भी आगे की तैयारी की गई है। बजट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने की कवायद की गई है ताकि ‘भारत@75’ को ‘भारत@100’ तक ले जाया जा सके। इस संकल्पना के कारण बजट को लोक लुभावन बजट ना बनाकर आत्मनिर्भर भारत का बजट बनाया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2022- 23 के इस बजट को देखें तो इसमें देश में आधारभूत संरचना के विकास पर खासा ध्यान रखा गया है। बजट में 25,000 किमी लंबे नेशनल हाइवे का निर्माण का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान किया गया है। इसे हम इस पृष्ठभूमि में देखें तो यह काफी महत्वपूर्ण हो जाता है कि देश में 2014 तक 90 हजार किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया गया और पिछले 7 साल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगभग 50,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जा चुका है।
इसके साथ ही साथ बजट में सीमावर्ती राज्यों हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट, ऐसे क्षेत्रों के लिए पहली बार देश में पर्वतमाला योजना शुरू की गई है जो कि सामरिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। यह योजना पहाड़ों पर परिवहन की आधुनिक व्यवस्था का निर्माण करेगी। इस बजट में गांव गांव तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाने की भी परिकल्पना की गई है।
साथ ही साथ डाक घरों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ने का प्रयास किया गया है ताकि आम लोगों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था में भी गति आए। देश में उत्पादन और स्टार्ट अप्स के लिए टैक्स बेनिफिट का भी प्रावधान इस बजट में किया गया है। इसके साथ ही साथ रेलवे में स्वदेशी को बढ़ावा देने की भी कवायद की जा रही है। जिसके तहत स्वदेशी ट्रेन विकसित करने और उसे बढ़ाने की कोशिश भी बजट में की गई है। इसके साथ ही साथ किसानों को राहत देने के लिए उर्वरक सब्सिडी बढ़ाने के साथ-साथ सिंचाई व्यवस्था को भी बढ़ाने के लिए नदियों को जोड़ने का प्रयास किया गया है।
इसके तहत केन बेतवा परियोजना के लिए बजट में प्रावधान किया गया है। इस परियोजना से यूपी और एमपी के कई हिस्सों में गुणात्मक परिवर्तन देखा जा सकेगा। तकनीक को कृषि से जुड़ने का भी प्रावधान इस बजट में किया गया है जिसके तहत ड्रोन तकनीक से किसान को जोड़ने की कवायद शुरू की गई है। इससे उत्पादन का रियल टाइम डेटा भी उपलब्ध होगा। इससे जुड़े स्टार्ट-अप्स को फंड करने के लिए नाबार्ड के माध्यम से मदद भी दी जाएगी। गंगा किनारे स्थित पांच राज्यों में नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य इस बजट में रखा गया है। देश में अब करीब 9 करोड़ ग्रामीण घरों में नल से जल पहुंचने लगा है। इसमें से करीब 5 करोड़ से ज्यादा पानी के कनेक्शन जल जीवन मिशन के तहत पिछले 2 वर्षों में दिए गए हैं। मौजूदा बजट में घोषणा की गई है कि इस साल करीब 4 करोड़ ग्रामीण घरों को पानी का कनेक्शन दिया जाएगा। इसके लिए भी बजट में विशेष प्रावधान किए गए हैं।
सभी को आवास देने की पीएम नरेंद्र मोदी की संकल्पना को पूरा करने के लिए इस बजट में लगभग 48000 करोड़ रुपए में लगभग 80 लाख घर बनाने का भी लक्ष्य रखा गया है। कोरोना महामारी के दौरान बजट का आकार बढ़ाकर 39.45 लाख करोड़ होना अर्थव्यवस्था में सुधार और मजबूती को दर्शाता है। साथ ही फिस्कल डिफिसिट का लक्ष्य 6.9% से घटाकर 6.4% करना भी बहुत बड़ी उपलब्धि है। हालांकि आने वाले वर्ष में इसे 4% से नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है। इस पृष्ठभूमि में देखे तो अगर बजट हो लोक लुभावना बनाया जाता और वित्तीय अनुशासन नहीं दिखाई जाती। तो देश विश्व के उन अर्थव्यवस्थाओं की तरह हो जाता जहां भविष्य में खर्च करने के लिए दूसरों की ओर देखना पड़ता।