मणिपुर। मणिपुर में लाभ के पद के मुद्दे पर बीजेपी को तगड़ा झटका लग सकता है। यहां, बीजेपी के 12 विधायकों पर अयोग्य होने की तलवार लटक गई है। गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को आश्वासन दिया कि मणिपुर के राज्यपाल जल्द ही लाभ के पद के मुद्दे पर बीजेपी के 12 विधायकों की अयोग्यता के संबंध में चुनाव आयोग की ओर से दिए गए राय पर फैसला लेंगे।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्यपाल के फैसले को लेकर सवाल किया था। जिसके बाद सॉलिसिटर जनरल की ओर से कोर्ट को यह जानकारी दी गई। लाभ के पद के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने जनवरी में एक राज्यपाल को अपनी राय भेज दी थी।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा के अनुच्छेद 192 के अनुसार राज्यपाल को निर्णय लेना होता है। पिछले 11 महीनों में कुछ भी नहीं हुआ है। हम एक एक और आदेश पारित नहीं करना चाहते हैं। कोर्ट को जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि मैं आश्वासन देता हूं कि हम इस पर कुछ करेंगे, इस संबंध में किसी प्रकार का कोई दिशा-निर्देश पारित करने की आवश्यकता नहीं होगी।
इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मणिपुर के राज्य लाभ के मुद्दे पर बीजेपी के 12 विधायकों की अयोग्यता के संबंध में चुनाव आयोग की ओर से दी गई राय को लेकर बैठे नहीं रह सकते हैं। कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब पीठ को बताया गया है कि राज्यपाल को अभी 13 जनवरी, 2021 को प्रस्तुत चुनाव आयोग की राय पर फैसला लेना है।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मणिपुर के करोंड से विधायक डीडी थैसी और अन्य की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें 12 विधायकों को इसलिए अयोग्य घोषित करने की मांग की गई थी कि वे संसदीय सचिवों के पदों पर हैं, जिसे ‘लाभ के पद’ के समान माना जाता है। यह मामला साल 2018 में ही तुल पकड़ा था, जिसके बाद इस पर चुनाव आयोग की राय मांगी गई थी। चुनाव आयोग ने अपनी राय दे दी है लेकिन अभी तक विधायकों की अयोग्यता को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है।