प्रचीनकाल के समय में राजाओं-महराजाओं और बादशाहों के द्वारा विशालकाय महल और मंदिर-मस्जिद बनाए जाते थे। किले की सुरक्षा की दृष्टि से चारों ओर विशालकाय पत्थरों की दीवारें भी होती थीं, और उन दीवारों में चारों दिशाओं में 4 दरवाजे होते थे। मध्यकाल के दौरान जब विदेशी आक्रमण होने लगे तब राजाओं महराजाओं में भव्य किले बनाने की शुरूआत की थी। बता दें कि इन किले को ‘दुर्ग’ भी कहा जाता है। प्राचीनकाल में बनाए गए किले हमारे गौरवशाली इतिहास और युद्ध को दर्शाते हैं। आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे किलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका इतिहास जानकार आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।
लाल किला
जब किलों की बात की होती है तो जुबान पर लाल किले का नाम सबसे पहले आता है। 250 एकड़ जमीन में फैले इस किले का इतिहास दुनियाभर में प्रसिद्ध है। लाल किला के अंदर देखऩे लायक मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम और दीवान-ए-खास जैसी कई जगह हैं। इस किले का निर्माण यमुना नदी के किनारे किया गया है। लाल बलुआ पत्थर से निर्मित इस किले का रंग लाल होने की वजह से इसे लाल किला कहा जाता है।
लाल किला का इतिहास
इतिहासकारों का मानना है कि लाल किले का निर्माण तोमर शासक राजा अनंगपाल ने 1060ईसवी में किया था। साक्ष्य बताते हैं कि तोमर वंश ने दक्षिण दिल्ली क्षेत्र में लगभग सूरजकुंड के पास शासन किया जोकि 700ईसवी से आरंभ हुआ था। इसके बाद 12वी सदी में पृथ्वीराज चौहान ने किले का पुनर्निमाण कराया और नगर एवं किले का नाम किला राय पिथौर रखा गया था। राय पिथौर के अवशेष आज भी दिल्ली के साकेत, महरौली,किशनगढ़ और वसंतकुंज क्षेत्रों में देखने को मिलते है। 1648 ईसवी में मुगल शासक शाहजहां ने मुगलकाल के प्रसिद्ध वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी को इस किले की शाही डिजाइन बनाने के लिए चुना था। उन्होंने लाल किला को बनाने में अपनी पूरी विवेक और कल्पना का इस्तेमाल कर इसे भव्य रुप दिया था। यही वजह है कि लाल किले के निर्माण के इतने सालों के बाद आज भी इस किले की खूबसूरती के लिए विश्व भऱ में जाना जाता है।
लाल किला बनाना में लगा वक्त
1648 ईसवी तक करीब 10 साल तक लाल किले का निर्माण कार्य चला। मगुल बादशाह शाहजहां द्धारा बनवाई गई सभी इमारतों का अपना-अपना, अलग-अलग ऐतिहासिक महत्व है। दिल्ली के लाल किला को विश्व भर में शोहरत मिली है। इस भव्य ऐतिहासिक किले के प्रति लोगों की सच्ची श्रद्धा और सम्मान है। बता दें कि, शाहजहां इस किले को उनके द्धारा बनवाए गए सभी किलों में बेहद आर्कषक और सुंदर बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने 1638 ईसवी में ही अपनी राजधानी आगरा को दिल्ली शिफ्ट कर लिया था, और फिर तल्लीनता से इस किले के निर्माण में ध्यान देकर इसे भव्य और आर्कषक रुप दिया था। एक समय था, जब 3000 लोग इस इमारत समूह में रहा करते थे।
लाल किला पर हमला
लाल किले पर 1739 में फारस के बादशाह नादिर शाह ने हमला किया था और वह अपने साथ यहां से स्वर्ण मयूर सिंहासन ले गया था, जो बाद में ईरानी शहंशाहों का प्रतीक बना। वहीं 1857 के गदर के बाद ब्रिटिश सेना ने लाल किले पर नियंत्रण कर अपने कब्जे में ले लिया था। जिसकी वजह से कई रिहायशी महल नष्ट कर दिये गये। लाल किला को ब्रिटिश सेना ने अपना मुख्यालय बनाया था।
लाल किला का असली नाम
वर्तमान में भले ही इस किले को आज लाल किला के नाम से जाना जाता है। लेकिन इसका असली नाम किला-ए-मुबारक है। मुगल शासन में शाही परिवार के लोग इसे मुबारक किला भी कहते थे। शाहजहां द्वारा के बनाए गए इस किले में करीब 200 साल तक मुगल परिवार के वंशज रह चुके थे।
लाल किला का महत्व
1947 की स्वतंत्रता के बाद इस किले पर भारतीय सेना ने अपने नियंत्रण ले लिया था। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किला प्राचीर में तिरंगा लहराया था, बता दें कि इस किले पर दिसम्बर 2000 में लश्यकर-ए-तोएबा के आतंकवादियों ने हमला भी किया था। इस हमले में दो सैनिक और एक नागरिक की मौत हो गई थी।
लाल किला पर्यटन
22 दिसम्बर 2003 को भारतीय सेना ने 56 साल पुराने अपने कार्यालय को हटाकर लाल किला खाली किया और एक समारोह में पर्यटन विभाग को सौंप दिया। इस समारोह में रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने कहा कि सशस्त्र सेनाओं का इतिहास लाल किले से जुड़ा हुआ है, पर अब हमारे इतिहास और विरासत के एक पहलू को दुनिया को दिखाने का समय है। दिल्ली शहर का सर्वाधिक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल लाल किला को माना जाता है। जोकि लाखों पर्यटकों को प्रतिवर्ष अपनी ओर आकर्षित करता है।
लाल किला विश्व धरोहर में शामिल
इस ऐतिहासिक किले को वर्ष 2007 में युनेस्को के द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल में चयनित किया गया था। भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित यह लाल किला देश की आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक है।