जान जोखिम में डालकर नदी पार करना मजबूरी

विकास के दावों की पोल खोलता उदयपुर से चकेरी पेण्डरखी पहुंच मार्ग का अटेम नदी

अम्बिकापुर

उदयपुर क्रांति रावत की विशेष रिपोर्ट

 

गांव के अंतिम छोर तक डिजिटल इंडिया का सपना पूरा भारत देख रहा है । वहीं दूसरी ओर सरगुजा जिला का आदिवासी अंचल उदयपुर इनunnamed (8) सपनों से दूर मूलभुत सुविधाओं से भी वंचित है। ब्लाॅक के कई गांव आज भी भारी बारिश में टापू में तब्दील हो जाते है। इसका दर्द पहली बारिश में सामने आया। उदयपुर से चकेरी पेण्डरखी पहुंच मार्ग पर अटेम नदी पड़ता है जो कि ब्लाॅक मुख्यालय से मात्र छः किलोमीटर दूर है।

उक्त नदी में पुल नही होने की वजह से आदिवासी बहुल ग्राम चकेरी, सरमा, पेण्डरखी बकोई, खुझी, जरहाडांड, झिंगाझरिया पहंचविहीन हो जाते है। भारी बारिश में इस मार्ग पर पहाड़ी नदी के पानी उतरने का घंटो इंतजार करना पड़ता है तब कहीं जाकर जान जोखिम में डालकर लोग अपने गंतव्य तक पहुंच पाते है।

unnamed (9)सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं की प्रसुति में, गंभीर रूप से बिमार मरीज को अस्पताल पहुंचाने में, स्कूली बच्चों को स्कूल आने-जाने में होती है। घंटों इंतजार के बाद भी जब पानी कुछ कम हो जाता है तब लोग विवश होकर बाईक एवं बच्चों को कंधे में ढोकर नदी पार करते है। चकेरी के ग्रामीणों ने चर्चा के दौरान बताया कि कई बार जनप्रतिनिधियों को इसके बारे में बताया गया है परंतु इस ओर किसी का ध्यान नही है।