मदर टेरेसा का 5 सितंबर 1997 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. उन्होंने अपना पूरा जीवन बीमार, अनाथ, गरीब, असहाय लोगों की सेवा में लगाया.
उन्होंने भारत सहित दुनिया के कई देशों में दीन-दुखियों की सेवा में अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित किया जिनकी आज पुण्यतिथि है. 5 सितंबर 1997 को दिल का दौरा पड़ने से मदर टेरेसा का निधन हो गया था.उनका जन्म यूगोस्लाविया में 26 अगस्त 1910 को हुआ था. उनका असली नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था. 18 वर्ष की आयु में दीक्षा लेकर वे सिस्टर टेरेसा बनीं थीं
मदर टेरेसा के अनमोल वचन
मदर टेरेसा 1929 में भारत आईं और अध्यापन से जुड़ गईं. कोलकाता में पढ़ाने के दौरान लोगों की गरीबी को देखकर वे कच्ची बस्तियों में जाकर सेवा कार्य करने में लग गईं. उनका मानना था कि दुखी मानवता की सेवा ही जीवन का व्रत होना चाहिए
मदर टेरेसा के अनमोल वचन
7 अक्तूबर,1950 को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की. इसके माध्यम से वे वर्षों तक गरीब, बीमार, अनाथ लोगों की सेवा में जुटीं रहीं. उन्होंने 1948 में भारत की नागरिकता ली थी. उस समय समाज में कुष्ठ और तपेदिक जैसे रोग को बहुत ही बुरा समझा जाता था तथा इन बीमारी रोगियों के साथ बहोत ही बुरा व्यव्हार किया जाता था मदर टेरेसा ने समाज से बहिष्कृत ऐसे रोगियों की सेवा की.
मदर टेरेसा के अनमोल वचन
मदर टेरेसा ने मिशनरीज के माध्यम से मदर टेरेसा की सेवा भावना को देखते हुए 1979 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया. उन्होंने प्राइज मनी लेने से इंकार कर दिया था तथा उसे भारत की गरीब जनता को बाँटने के लिए दे दिया था . इसके बाद 1980 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया. उन्हें रोमन कैथोलिक चर्च ने भी कलकत्ता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा.
मदर टेरेसा के अनमोल वचन
टेरेसा ने गरीब लोगों के इलाज और गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए ‘निर्मल हृदय’ और ‘निर्मला शिशु भवन’ नाम से आश्रम स्थापित किये थे. एक रिपोर्ट के अनुसार उनकी स्थापित की गई मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं 130 देशों में फैल कर 700 मिशन स्थापित कर चुकी हैं.
मदर टेरेसा के अनमोल वचन
मदर टेरेसा के सेवा कार्यों को देखते हुए 2012 में संयुक्त राष्ट्र ने उनकी पुण्यतिथि को इंटरनेशनल चैरिटी डे के रूप मनाने का फैसला लिया. 2012 से उनकी पुण्यतिथि इंटरनेशनल चैरिटी डे के रूप में मनाई जाती है.