अम्बिकापुर
सरगुजा जिले मे हाथियो की मदमस्त चहलकदमी और ग्रामीणो की मुसीबत का चोली दामन का साथ हो गया है। गन्ना और धान की फसल महक पाते ही हाथी गांवो के अंदर और ग्रामीणो गांव से बाहर भागने पर मजबूर हो जाते है। ऐसा ही आलम आज जिले के बटवाही गांव का है। जंहा 31 हाथियो का दल गांव की गन्नाबाडी को अपना ठीहा बना चुके है,, तो ग्रामीण दहशत के साए मे है।
हाथियो के लिए स्वर्ग माने जाने वाले सरगुजा जिला मे हाथियो की चहलदकमी कभी कभी ग्रामीणो के लिए मुसीबत बन जाती है। ऐसी ही मुसीबत का सामना अब जिले के बटवाही गांव के लोगो का भी करना पडेगा। दरअसल जशपुर के बादलखोल अभ्यारण से विचरण कर सीतापुर , बतौली के रास्ते 31 हाथियो का दल आज गुरुवार तडके बटवाही गांव पंहुच गया। यंहा पंहुच कर हाथियो ने गन्ने के खेत को अपना ठिकाना बना लिया है। जिससे बटवाही गांव के लोग हाथियो की दशहत के साए मे जीने पर मजबूर है।
अक्सर देखा गया है कि हाथी अपने भोजन की जुगाड मे धान और गन्ना की फसल खाने के लिए गांव मे घुस जाते है। और कई दिनो तक गांव मे डेरा जमा कर कभी फसल चौपट करते है,, तो कभी गांव के घरो मे तोड फोड कर देते है। लिहाजा आज सुबह अपने गांव में पंहुचे 31 हाथियो के दल की दहशत से ,, ग्रामीणो मे कई दिनो तक रतजगा कर अपनी जान माल की पहरेदारी का भय सताने लगा है।
31 की संख्या मे बटवाही पंहुचे हाथियो की खबर ग्रामीणो ने वन विभाग के अधिकारियो को सुबह ही दे दी थी। लेकिन ग्रामीणो की मदद के लिए दोपहर बाद तक वंहा कोई भी नही पंहुचा। लिहाजा जब मीडिया के आने की खबर वन विभाग को मिली तो वन विभाग के अधिकारियो ने वीट गार्ड देवलाल यादव को मौके पर भेज कर अपना काम पूरा कर लिया।
जिला मुख्यालय से 25 किलीमीटर दूर बटवाही गांव मे 31 हाथियो की उपस्थिती ने ग्रामीणो की नींद हराम कर दी है। आलम ये है कि हाथियो की मौजूदगी मे अपनी जान माल की रक्षा के लिए ग्रामीणो 7 डिग्री के न्यूनतम तापमान मे भी रतजगा करने पर मजबूर है। बहरहाल इंसान के लिए ना सही ,, हाथियो की हिफाजत के लिए तो वन अमला को मौके पर होना चाहिए। जो मौके से नदारद है।