अम्बिकापुर. संभाग का सबसे अधिक सब्जी उत्पादक गांव सिलफिली के किसान एक बार फिर अपनी खेती को देखकर आंसू बहाने को मजबूर हो गए हैं. कोरोना संक्रमण के कारण सरकारी फरमान के कारण इनकी सब्जियां कौडी के भाव भी नहीं बिक रही है. हालांकि लाकडाउन के बाद भी सब्जी बिक्री पर सरकार ने कोई रोक नहीं लगाई है. लेकिन सिलफिली की थोक मंडी तक खुदरा व्यापारियों के नहीं पहुंच पाने के कारण किसानो की सब्जी को औने पौन दाम मे भी कोई खरीददार नहीं मिल रहा है.
संभाग की सबसे बडी थोक मंडी के रूप मे स्थापित सूरजपुर जिले की सिलफिली मंडी में इन दिनो खुदरा व्यापारियों की चहलकदमी बंद हो गई है. कोरोना के संक्रमण के कारण सरकार के मंदी के एलान के बाद इस थोक मंडी मे प्रतिदिन अपनी सब्जियां बेचने आने वाले किसान ग्राहक के लिए टकटकी लगाए बैठा है. ऐसे मे आस पास के कुछ खुदरा व्यापारी और कोचिया तो इनकी सब्जी औने पौने दाम मे खरीद रहें है. लेकिन बाकी की बची सब्जियां बर्बादी की कगार मे पहुंच जा रही हैं.
सिलफिली में सब्जियों के भाव का ये आलम है कि यहां 40 किलो मटर का पूरा बोरा 100 रूपए में, 40 किलो फूल गोभी का बोरा 70 रूपए में, 40 किलो पत्ता गोभी 70 रूपए और खीरा तीन रूपए किलो मे बिक रहा है. उसके बाद भी खरीददार नहीं मिल रहे हैं. सिलफिली की थोक सब्जी मंडी की सब्जी की सबसे अधिक खपत अम्बिकापुर और कोरिया जिले मे हैं. इसके अलावा पडोसी राज्यो के व्यापारी भी यहां से सब्जी ले जाते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए छत्तीसगढ सरकार ने एहतियान सभी जिलो की सीमाएं आपस मे सील कर दी है. मतलब एक दूसरे जिले मे आने जाने पर पूरी तरह से मनाही है. लिहाजा किसानों दूसरे जिले के खुदरा और थोक व्यापारी सिलफिली से सब्जी से नहीं ले जा पा रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक सिलफिली सब्जी मंडी मे प्रतिदिन आस पास के 500 से ज्यादा किसानो की अलग अलग सब्जी थोक रेट मे बिकती है. जिससे आस पास के जिलो के थोक औऱ खुदरा व्यापारी सुबह सुबह सब्जी ले जाकर दिन भर अपने अपने मंडियो मे सब्जी की बिक्री करते हैं. लेकिन सिलफिली से सब्जी नही पहुंच पाने के कारण. एक तरफ पडोसी जिलो मे जहां सब्जी के भाव बढते जा रहे हैं. तो वहीं सिलफिली के बेबस किसानो की सब्जियां कौडी के दाम पर कोई खरीदने नहीं पहुंच पा रहा है. लिहाजा शासन औऱ प्रशासन को इस सब्जी आपदा पर इसलिए भी नजर इनायत करना चाहिए. क्योकि इससे आस पास के जिलो मे सब्जी के बढते भाव पर भी नियंत्रण हो सकेगा औऱ सिलफिली के किसानो को भी उनका वास्तविक मेहनताना मिल सकेगा.
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