छत्तीसगढ़ की घटनाओं पर भाजपा पर संवेदनहीन रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुये प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के नसबंदी कांड में 17 मौते हुये। 122 लोग भरती हुये, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने औपचारिकता निभाने के लिये मुख्यमंत्री रमन सिंह को एक फोन किये और म्यांमार और फिर म्यांमार से आस्ट्रेलिया चले गये। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा जो छत्तीसगढ़ के प्रभारी भी रहे, हिमांचल और दिल्ली से बयानबाजी कर रहे। छत्तीसगढ़ के पीडि़तों का दुख और पीड़ा जे.पी. नड्डा को क्यों दिखाई नहीं देता? बिलासपुर नसबंदी कांड की घटना पूरे विष्व में इस तरह की अकेली घटना है। ऐसे समय में केन्द्रीय मंत्री दिल्ली से और षिमला से कोरी बयानबाजी कर रहे है। केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री अपनी जिम्मेदारी से बच रहे है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ क्यों चुप है? मुख्यमंत्री बतायें कि उनके पार्टी के लोग कब छत्तीसगढ़ आ रहे है? क्यों भाजपा को और भाजपा सरकार को छत्तीसगढ़ के इन गरीबों से कोई संवेदना और सहानुभूति नहीं है? बिलासपुर नसबंदी कांड के सारे तथ्य सामने आने चाहिये। यह घटना क्यों घटी ? इसकी जांच होने तक रमन सिंह और अमर अग्रवाल को अपने-अपने पदों से हट जाना चाहिये? बिलासपुर नसबंदी कांड की जांच के लिये हाईकोर्ट के चीफ जस्टीस से जजों का पेनल नहीं क्यों मांगा गया? क्यों एक रिटायर्ड जज से ही भाजपा सरकार यह जांच कराना चाहती है। प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल ने सरकार द्वारा गठित जांच पर भी सवाल उठाया है। उन्होने कहा है कि बिलासपुर नसबंदी प्रकरण में जिस सेवानिवृत्त जिला न्यायधीष की नियुक्ति की गई है उसी से पता चलता है कि सरकार इस प्रकरण को कितनी गंभीरता से लेती है और इसी से सरकार की मंषा पर सवाल पैदा होता है। जिस प्रकार सरकार ने आनन-फानन में न्यायिक जांच की घोषणा की है वो पूरी तरह से प्रक्रिया को पूरा किए बगैर मामले में जन आक्रोष से बचने और जनता का ध्यान हटाने की नीयत से सेवानिवृत्त न्यायाधीष से जांच करा रही है। उन्होने पूर्व की घटना का उल्लेख करते हुये कहा कि सेवानिवृत्त न्यायाधीष जांच का जो मामला पूर्व में सौपा गया है, अभी तक लगभग तीन वर्षो में उसकी रिपोर्ट नहीं आई है। ऐसे में हम समझते हैं कि उन्हे दूसरी जांच की जिम्मेदारी देना उचित नहीं होगी। पार्टी सरकार के इस रवैये से असहमत है, अच्छा होता कि सरकार उच्च न्यायालय के किसी वर्तमान जज से इसकी जांच कराती। भाजपा सरकार का तंत्र भ्रष्टाचार और निकम्मेपन से सड़ चुका है। भाजपा के लोग मौत के सौदागर बन गये है। जो सरकार इन दवा कंपनियों के बारे में विधानसभा में घटिया और नकली अमानक दवाओं के बारे में जानकारी देती है वही सरकार उसी कंपनी को गुड मेन्यूफेक्चरिंग प्रेक्टिस का प्रमाण पत्र कैसे देती है? प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल ने कहा कि दवा निर्माता सप्लायर अधिकारियों और सरकार में बैठे लोगो का नापाक गठबंधन छत्तीसगढ़ में काम कर रहा है। सरकारी तंत्र, नौकरषाह जिनके भी संरक्षण में इस प्रकार के घृणित प्रयास कर रहे हैं कांग्रेस पार्टी उसकी निंदा करती है और अब हमारी मांग है कि स्वास्थ्य मंत्री एवं मुख्यमंत्री पर हत्या का मुकदमा दर्ज हो। प्रतिबंध के बाद महावर फार्मा को गुड मेन्यूफेक्चरिंग प्रेक्टिसेस का प्रमाण पत्र कैसे दिया सरकार ने यह जानने का अधिकार छत्तीसगढ़ की जनता को है। दवाइयों के मामले में दवा जलाकर बैगा जनजाति की जाति छिपाकर आपरेषन थिएटर की सील तोड़ कर भाजपा सरकार तथ्यों को छुपा रही है। सबूतो के साथ छेड़छाड़ कर रही है। क्या केवल सिप्रोसिन की जांच करायी जा रही है? दूसरी दवाइयों की जांच नहीं करायी जा रही है? पहले डाॅक्टरों को फंसाया गया। सरकार के चिकित्सा विभाग के मुख्य सचिव डाॅ. आलोक शुक्ला ने कैसे कहा कि चूहामार दवा से मौत हुयी है? डाॅ. आलोक शुक्ला के इस बयान का आधार क्या है? क्या फिर से यह सरकार किसी और को बचाना चाह रही? शेष दवा निर्माता क्या मुख्यमंत्री या स्वास्थ्य मंत्री के ज्यादा करीब है जो कार्यवाही नहीं की जा रही है। राज्य सरकार को पूरे मामले का खुलासा करना चाहिये। चूहा मार दवा का दवाईयों में उपयोग का भ्रामक प्रचार किया जा रहा है। जब तक मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा नहीं देंगे आंदोलन जारी रहेगा। कौन से लैब में जांच कराए, दवाई की सरकार खुलासा करे। सरकार झूठ का सहारा लेकर भ्रम फैला रही है जनता मे। प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल ने बिलासुपर नसबंदी प्रकरण में महिलाओं को दी गई दवा में चूहा मार दवा के सम्मिलित होने की सत्यता पर सवाल उठाते हुये कहा कि यह एक तरह से जनता में भ्रम पैदा करके सरकार के प्रति जनमानस के आक्रोष को कम करने के प्रयास के कारण सरकार ने ऐसा आरोप लगाया है। सरकार कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे के एक दिन पूर्व इस प्रकार का प्रचार किया है और संभागायुक्त बिलासपुर ने मीडिया में इसकी पुष्टि की है तो सरकार स्वयं बतायें कि कौन से लैब में इसकी जांच करके रिपोर्ट दी गयी। हमारी जानकारी तो यह है कि सील की गई दवाइयां कलकत्ता, लखनऊ, दिल्ली जांच के लिए जिस दिन भेजी गई है तो उसी दिन ये कैसे पता चल गया कि चूहा मारने की दवाई मिली हुई दवा नसबंदी में प्रभावित महिलाओं को दी गई। सरकार को बताना चाहिये कि किस लैब से जांच कर सरकार ने ये बयान दिया है। उन्होने कहा कि ये राज्य सरकार और उनके नौकरषाहों की उन्हीं कोषिषों का यह परिणाम है जिसमें इस मामले के तथ्य को दबाने, सबूतो को छिपाने और लोगो में भ्रम पैदा करके जनआक्रोष को दबाने की कोषिष है। जिस कंपनी की दवाई पर चूहा मार दवा शामिल होने की बात सरकार कर रही है सरकार उस दवा कंपनी को अब तक संरक्षण क्यों देती रही। उन्होने मांग की कि इस प्रकरण में सरकार अकेले एक ही दवाईयों का नहीं उपयोग मे लाई गयी सभी दवाइयों का जांच करें और उस पर स्पष्ट बयान जारी करें। दवाई की रिपोर्ट जब भी आएगी उसमे जहर भी अगर हो तो स्वास्थ्य मंत्री, मुख्यमंत्री कितनी भी कोषिष करे अपनी नैतिक जिम्मेदारी से नहीं बच सकते।
चूहा मार दवाई के उपयोग के मामले में सरकार कर रही है भ्रम फैलाने की कोषिष: बघेल
रायपुर 16 नवंबर 2014