कोरिया(चिरमिरी) से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट
स्कूल बच्चों की सबसे बड़ी परेषानी होती हैं उनका बस्ता. हर रोज सात आठ किलो का बस्ता उठाना बच्चे को भारी नुकसान भी पहुंच सकता है. जानिए बस्ते का सही वनज क्या होना चाहिए.
स्कूल में हर दिन करीब आठ गलग अलग तरह की क्लास लगती हैं और हर क्लास के लिए कम से कम एक काॅपी औैर एक किताब साथ रखना जरुरी होता है. क्लासर्वक और होमवर्क की काफी मिला कर जब टाइमटेबल के हिसाब से बस्ता लगाया जाता हैं, तो इतना भारी हो जाता है जैसे बच्चे को स्कुल जाने की सजा दी जा रही हों.
बस्ते के ज्यादा वजन से क्या होता हैं
ज्यादा बोझ के कारण बच्चो की रीढ़ की हड्डी पर बुरा असर पड़ सकता है। बच्चे के लिए दस किलो उठाना वैसा ही हो सकता है जैसा किसी वयस्क के लिए तीस या चालीस किलो ऐसे मे यह जानना जरुरी है कि बस्ते का वनज कितना हो जिससे बच्चे को किसी तरह नुकसान ना हो.
डाक्टरो के मुताबिक संतुलन जरुरी हैं
जब इस विषय में डाॅक्टरों से बात की गई तो डाॅक्टर क्या कहते है आपोलो बेगलुरु के फिजियोथेरेपिस्ट डाॅ. बी0एन सुनील माझे ने बताया कि बच्चे के बस्ते का भार उसके लिए ठीक है या नही, माता पिता एक सामान्य से टेस्ट से इस बात का ध्यान रख सकते है, बच्चे से बस्ता उठा कर एक टांग पर खडे़ होने के लिए कहें, अगर वह बिना अपना संतुलन खोए बस्ता उठा पा रहा है, तो वजन ठीक है और अगर संतुलन बिगड़ रहा है तो यह इस बात का संकेत है, कि बस्ते का वनज कम करने की जरुरत है।
कोरिया जिला आस्पताल के डाॅक्टर एस एन चावड़ा का कहना है कि अगर बच्चे का बस्ता अधिक वनज होता है तो बच्चे के रीडड की हडडी मे बुरा प्रभाव पड़ सकता है। एक आम धारणा है कि बस्ते का वजन बच्चे के वनज से दस फीसदी से ज्यादा नही होना चाहिए
साइड बैग बच्चो के लिए नुकसान ज्यादा तर माता पिता अपने बच्चो को साइड बैग खरीद देते है। जो कि बच्चो के लिए काफी नुकसानदेय है होता है।