खैरागढ़ संगीत विश्विद्यालय में संगीत साधनारत संन्यासी की कलाई में जब विश्विद्यालय की छात्राओं ने बाधा राँखी तो पढ़िये भावुक हो कर क्या कहा एक युवा संन्यासी
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आज मेरी बहन मेरे कलाई पर राखी बांधी। आपकी बहन भी आपके कलाई को अपने हाथों से राँखी बाँधकर सजाया है, हम दोने ने अपने बहन को मन ही मन बचन दिया कि हम तुझे सर्वदा खुश रखेंगे, तुझ पर कोई आंच नही आने देंगे, पर क्या ऐसा हम कर पाने में सक्षम है नही। हम तो हरपल डरते है इस समझ से कि कही मेरी प्यारी बहन को इस समाज का कोई पुरुष कमजोर समझकर उसे किसी तरह का नुकसान न पंहुचा दे, आये दिन बलात्कार दुराचार की हो रही घटनाओं को देख कर दिल सहमा-सहमा सा रहता है, जब तक कि वो घर नही पहुच आती, इतना ही नही शादी के बाद कई बार हमारी बहने दहेज़ रुपी दानव की शिकार हो कर जला दी जाती है, उनकी जान तक ले ली जाती है। मैं आपसे पूछता हूँ कौन देता है इस कुकृत्य को अंजाम,दुसरे लोक का कोई प्राणी नही होता वो व्यक्ति, हमारे आपके बीच का कोई व्यक्ति,किसी परिवार का सदस्य होता है वो शख्स, जिसके कुत्सित मानसिक विचारधारा के कारण आये दिन कही न कही कोई न कोई बहन कभी संकट से जूझती तो कभी दमतोड़ती नजर आती है। मित्रो हम सबको सोचना होगा, आपने अपने बहनो के ही बारे में ही नही बल्कि एक दुसरे के बहन को कैसे हम सम्मान दे सके, साथी ही उसे अपने आचरण से सुखी रहने दे, नकि उसे अपने व्यवहार से दुःख पहुचाये। कल्पना कीजिये यदि हम सब भाई केवल इतना संकल्प ले कि अपने जीवन में किसी के बहन को अपने व्यवहार द्वारा तकलीफ नही पहुँचाऊँगा तो वो दिन दूर नही कि हम सबकी प्यारी बहने अपने देश के खुली हवा में आजादी की श्वास ले सकेंगी।चैन से अपने जीवन को जी सकेंगी तो आइये आज ये संकल्प ले कि किसी भी अनजानी लड़की,महिला,स्त्री को अपने व्यवहार से आहत नही करेंगे।यही रक्षाबन्धन पर बहन के लिये सबसे प्यारा तोहफा होगा।