बस्तर – काफी समय से राज्य सरकार और केन्द्र सरकार के बीच निजी करण को लेकर विरोध करते आ रही है और अब ये विरोध बस्तर के आदिवाशी भी कर रहे है बड़ी संख्या में आदिवाशी रैली के रम में कुछ दिन पहले भी इसका पुरजोर विरोध किया था और अपनी बात बस्तर के सांसद के सामने रखी थी लोक सभा मे छत्तीसगढ़ की बात रखने वाले कांग्रेश के कुछ ही सदस्य है छत्तीसगठ के मुद्दे को बेबाकी से रखना भी कांग्रेश के लिए जरूरी है राज्य सरकार हर मौके में केन्द्र को घेरने का कोई मौका नही छोड़ना चाहती है ।
बस्तर सांसद दीपक बैज ने संसद में आदिवासियों के हितों व स्थानीय नौजवानों के रोजगार और कंपनी के निजीकरण करने पर आवाज उठाई, बस्तर के खनिज संपदा का दोहन वर्षों से चल रहा है एनएमडीसी का नगरनार स्टील प्लांट बस्तर को केंद्र सरकार निजीकरण कर रही है प्लांट हेतु 610 हेक्टेयर निजी जमीन अधिग्रहित है 211 हेक्टेयर जमीन छत्तीसगढ़ की प्लांट के इस्तेमाल हेतु है आदिवासियों के हित की रक्षा हेतु इस क्षेत्र में पेसा कानून 1996 लागू है नियमों की अनदेखी करते हुए नगरनार प्लांट का निजीकरण अव्यवहारिक है 20 हजार करोड़ लागत से तकरीबन 15 वर्षों से बन रहे प्लांट से धुआ निकलने वाला ही था कि सरकार इसे निजी हाथों में बेच रही है बस्तर की जनता आंदोलित है प्लांट में नौकरी का सपना टूटते देख नौजवान आक्रोशित है जनता की भावनाओं के विरुद्ध राष्ट्र की संपदा बेची जा रही है ।उक्त मामले को बस्तर सांसद दीपक बैज ने अधिनियम 377 के अंतर्गत सदन में सरकार के समक्ष संसद पटल पर लिखित में रखा जिसका जवाब सदन के द्वारा बस्तरवासियों को लिखित में दी जाएगी।