LokSabha Speaker Election Explainer : आज है लोकसभा स्पीकर का चुनाव, जानें देश में कितनी बार हुए है इस पद पर चुनाव, क्या है कारण और पद की जिम्मेदारी

LokSabha Speaker Election 2024, Loksabha Speaker, NDA vs I.N.D.I.A, Explainer : लोकसभा स्पीकर का पद काफी महत्वपूर्ण होता है, जिसमें उनके पास संसदीय समितियों के नेतृत्व की भूमिका होती है।

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LokSabha Speaker Election 2024, Loksabha Speaker, NDA vs I.N.D.I.A, Explainer : लोकसभा के चौथे सत्र की शुरुआत में शपथ लेने के बाद, अब नई दिल्ली में 18वीं लोकसभा के सदस्यों के बीच चर्चा शुरू हो चुकी है कि इस बार का लोकसभा स्पीकर कौन बनेगा। लोकसभा की आधिकारिक कार्यवाही शुरू होने से पहले ही इस महत्वपूर्ण पद के लिए विवाद और सहमति दोनों ही चरम पर हैं।

LokSabha Speaker Election : यह है आज के लोकसभा स्पीकर चुनाव के उम्मीदवार

भारतीय राजनीति में यह एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि इससे संसदीय लोकतंत्र की संरचना और चलने की विधियों का प्रदर्शन होता है। इस बार भी बीजेपी और उसके साथी दलों ने लोकसभा अध्यक्ष के पद के लिए ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो पिछली बार सर्वसम्मति से इस पद पर चुने गए थे। लेकिन इस बार विपक्षी गठबंधन ने भी अपने उम्मीदवार को पेश किया है, जिसमें केरल के एक अनुभवी सांसद के. सुरेश शामिल हैं।

LokSabha Speaker Election : लोकसभा स्पीकर का पद काफी महत्वपूर्ण

लोकसभा स्पीकर का पद काफी महत्वपूर्ण होता है, जिसमें उनके पास संसदीय समितियों के नेतृत्व की भूमिका होती है। इस पद पर आने से स्पीकर को सीबीआई निदेशक समेत कई अन्य अहम पदों के लिए बनी सिलेक्ट कमिटी का सदस्य बनाता है। यह पद दलों के बीच सहमति के बिना नहीं चुना जा सकता है, जिसकी वजह से इस बार इसे लेकर विवाद और चर्चा है।

LokSabha Speaker Election : लोकसभा स्पीकर के चुनाव की विवादित घटनाएं

भारतीय लोकतंत्र की धारा में, लोकसभा स्पीकर का पद पहली बार 1952 में चुनाव से आया था। इस समय पहली बार संसद में लोकसभा स्पीकर पर सहमति नहीं बन पाई थी, जिसके कारण चुनाव होना पड़ा था। उस समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने स्वतंत्रता सेनानी और संविधान सभा के पूर्व सदस्य जी.वी. मावलंकर को अध्यक्ष चुनने का प्रस्ताव रखा था।

जिसमें उन्हें कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता थी। लेकिन विपक्ष ने उनके खिलाफ शांताराम मोरे के नाम पर प्रस्ताव रखा था, जिसमें कम्युनिस्ट आंदोलन के संस्थापक ए.के. गोपालन का समर्थन था। इसके बाद चुनाव में मावलंकर को बड़े अंतर से स्पीकर के रूप में चुना गया था।

LokSabha Speaker Election: दूसरी बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव

इसके बाद 1976 में दूसरी बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव हुआ था, जब 1975 में इमरजेंसी के बाद संसद की अवधि बढ़ा दी गई थी। इस समय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कांग्रेस सांसद बी आर भगत को स्पीकर के रूप में चुनने का प्रस्ताव रखा था, जिसका समर्थन उस समय की संसदीय कार्यमंत्री द्वारा किया गया था। विपक्ष ने उनके खिलाफ जगन्नाथ राव जोशी का प्रस्ताव रखा था, जिसके बाद भगत को बड़े अंतर से स्पीकर के रूप में चुना गया था।

LokSabha Speaker Election : बीजेपी और विपक्षी गठबंधन दोनों अपने उम्मीदवारों को लेकर उतार रहे

इसी तरह, वर्तमान में भी लोकसभा स्पीकर के पद के लिए इस बार चुनाव होने वाला है, जिसमें बीजेपी और विपक्षी गठबंधन दोनों अपने उम्मीदवारों को लेकर उतार रहे हैं। यह चुनाव राजनीतिक उपलब्धियों और संसदीय कार्य प्रक्रियाओं के संबंध में एक महत्वपूर्ण माना जाता है, जो भारतीय लोकतंत्र के मूल अवस्थाओं में से एक है।