Electricity Rate Hike : उपभोक्ताओं को लगेगा बड़ा झटका, फिर बढ़ेंगे बिजली के दाम, जेब पर बढ़ेगा बोझ

Electricity Price, Electricity Rate Hike, Electricity Price Hike : ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के लिए फिक्स्ड चार्ज और यूनिट दरों में अब शहरी स्तर के तुलना में अधिक दरें लागू की जा रही हैं।

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Electricity Price, Electricity Rate Hike, Electricity Price Hike : राज्य के ग्रामीण इलाकों में बिजली के दामों में बढ़ोतरी का निर्णय प्रदेश भर में विवादों का केंद्र बन गया है। विभिन्न क्षेत्रों में यह निर्णय सुनकर लोगों में विरोधप्रद भावनाएं उभरी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस नए बिलिंग नियम के लिए कॉरपोरेशन और विद्युत उपभोक्ता परिषद के बीच विवाद उत्पन्न हो रहे हैं।

Electricity Rate Hike : फिक्स्ड चार्ज और यूनिट दरों में अब शहरी स्तर के तुलना में अधिक दरें लागू

यूपी के कई ग्रामीण इलाकों में बिजली सप्लाई शहरी फीडर से होती है, लेकिन इन इलाकों के उपभोक्ताओं को अब शहरी इलाकों की तरह बिलिंग दर में वृद्धि का सामना करना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली के लिए फिक्स्ड चार्ज और यूनिट दरों में अब शहरी स्तर के तुलना में अधिक दरें लागू की जा रही हैं।

Electricity Rate Hike : ग्रामीण इलाकों में यूनिट दरों में बदलाव

ग्रामीण इलाकों में यूनिट दरों में इस बदलाव के बाद अब 0-100 यूनिट तक 3.35 रुपये/यूनिट और 101-150 यूनिट तक 3.85 रुपये/यूनिट होंगे। वहीं, शहरी इलाकों में इसी क्षेत्र में 5.50 रुपये/यूनिट की दर लागू होगी। यह नए दरें ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं के लिए अत्यधिक बोझ हो सकती है, जो अब अपने बिल में पिछले बराबर से भी अधिक रकम चुकाने के लिए तैयार होने को मजबूर होंगे।

Electricity Rate Hike : एक बड़ी चुनौती साबित

इस निर्णय के खिलाफ राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध जताया है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की दरें लागू करना उचित नहीं है, क्योंकि यह उपभोक्ताओं को अत्यधिक बोझित करेगा और उन्हें शहरी इलाकों के समान बिजली सेवाओं के लिए अधिक चुकाना पड़ेगा। इसके बजाय, परिषद ने यह सुझाव दिया है कि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए सस्ती बिजली की सुविधा बनाए रखनी चाहिए।

ग्रामीण इलाकों के उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है, खासकर वे लोग जो अब शहरी इलाकों के करीब रहते हैं और इस निर्णय के चलते अब अधिक दर पर बिजली की सप्लाई चार्ज करने के लिए तैयार होने को मजबूर होंगे।

सरकारी प्रतिष्ठान द्वारा इस निर्णय को स्वीकार करने के पीछे के विचार का पर्दाफाश करने की आवश्यकता है कि क्या इससे सबसे नीचे के लोगों की भलाई होगी या उनके लिए यह एक और आर्थिक बोझ होगा।