अम्बिकापुर छत्तीसगढ़ में पत्थलगडी की आग जशपुर से उठकर अब दूसरे जिलों में फैलने लगी है। इसके साथ ही इस पूरे मामले में जमकर राजनीति भी शुरू हो गई है। पत्थलगडी की शुरुआत अब अन्य जिलों में न हो इसके विरोध में अम्बिकापुर जिले के अलग- अलग विधानसभा क्षेत्रों में सद्भावना यात्रा निकालकर पत्थलगाडी का विरोध शुरू हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में सर्व सनातन आदिवासी समाज रैली निकालकर पत्थलगडी के विरोध में उतर आया है।
अंबिकापुर के बतौली से शुरू हुई यह यात्रा सीतापुर जा रही है। इस यात्रा में जितने आदिवासी हैं उससे कहीं ज्यादा बीजेपी के कार्यकर्ता हैं। बाइक और चार पहिया से यात्रा निकालकर लोगों को समझाया जा रहा है कि पत्थलगडी का विरोध करें। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि पत्थलगडी आदिवासियों और सामान्य लोगों को अलग करने की रणनीति है। जिससे समाज पर बुरा असर पड़ रहा है। इसलिए बीजेपी के साथ- साथ सर्व आदिवासी समाज के लोग पत्थलगडी का विरोध कर रहे हैं। बीजेपी से अम्बिकापुर के पूर्व महापौर रहे प्रबोध मिंज कहते हैं की जशपुर से शुरू हुए पत्थलगडी की वजह से समाज में टकराव की स्थिति बनी है इसलिए हम लोग इसका विरोध करते हैं।
अम्बिकापुर के जिला पंचायत उपाध्यक्ष और बीजेपी नेता प्रभात खलखो तो पत्थलगडी को नक्सलवाद और हिन्दू मुसलमान से जोड़ रहे हैं। प्रभात का मानना है कि अगर समय रहते इसपर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह मुद्दा हिन्दू मुसलमान से भी बड़ा हो जाएगा। वो पत्थलगडी के समर्थकों को को नक्सली करार दे रहे हैं। प्रभात कहते हैं कि सरकार लोगों के बीच विकास पहुंचा रही है। योजनाओं का लाभ दे रही है लेकिन कुछ लोग समाज के लोगों को बांटने काम कर रहे हैं।
जशपुर के गावों में पत्थलगडी शुरू हुआ तो सरकार और स्थानीय प्रशाशन इसे रोकने के बजाय मूक दर्शक बनी रही। इसी बीच बीजेपी के नेताओं के नेतृत्व में पत्थलगडी को तोड़ा गया। जिसके बाद तनाव की स्थिति बनी। अब इसकी आग ऐसी फैल रही है जैसे प्रदेश में पत्थलगडी ईसाइयों और हिंदुओं के बीच की लड़ाई बन गई हो। ये बात तो सच है कि जिस तरह से छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों में पत्थलगडी के समर्थन और विरोध में रैलियां हो रही हैं उससे निपटना आने वाले समय में सरकार के लिए आसान नहीं होगा।