अगर किस्मत कहे कि मैं तुम्हारे साथ नहीं हूं, तो भूल से भी अपनी हार मत मान लेना, आगे बढ़ना, लड़ना और तब-तक नहीं रुकना, जब तक तुम अपने लक्ष्य पा न लो. दिल में अगर जज्बा हो तो लाख मुसीबतें भी रास्ता नहीं रोक पातीं और इसी की मिसाल हैं धर्मबीर सिंह. कभी एलआईसी एजेंट की नौकरी करने वाले धर्मवीर आज रियो ओलंपिक में दुनिया के सबसे तेज धावक उसैन बोल्ट को चुनौती देने जा रहे हैं. पैसे की कमी के कारण इन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. फ़िर भी हार नहीं मानी. धर्मबीर की कहानी को पढ़ कर आप काफ़ी प्रेरित होंगे
धर्मबीर का जन्म हरियाणा के रोहतक में 1989 में हुवा था। वे मध्यम वर्ग से आते हैं. उनके पिता एक किसान हैं. लेकिन धर्मबीर देश और अपने परिवार का नाम रौशन करना चाहते हैं लेकिन आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती है. फिर भी धर्मबीर ने खुद को विपरीत परिस्थितियों में आगे बढ़ने की कोशिश की और आगे भी बढ़ रहे हैं. अपनी दिन-रात की मेहनत से धर्मबीर इस ओलंपिक में इतिहास रचने जा रहे हैं. आइए, धर्मबीर से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताते हैं, जिन्हें जानने के बाद आप उन पर गर्व करेंगे
-इस साल जुलाई में बेंगलुरु में हुए इंडियन ग्रां प्री एथलेटिक्स इवेंट में धर्मबीर ने 20.50 सेकंड के ओलिंपिक मार्क को 20.45 सेकंड में पूरा कर लिया था.
-परिवार के मुश्किल हालातों के बीच ही धर्मबीर सिंह ने साल 2001 में दौड़ना शुरू किया. इसी की बदौलत वह अब तक नेशनल गेम्स में 100 व 200 मीटर दौड़ में छह गोल्ड, एक सिल्वर और एक ब्रॉन्ज मेडल जीत चुका है.
-2015 में 21वें एशियन चैंपियनशिप के दौरान धर्मबीर ने 22.66 सेकंड की टाइमिंग के साथ मशहूर धावक मिल्खा सिंह का रेकॉर्ड तोड़ा था.
-अपने ट्रेनिंग का खर्च निकालने के लिए धर्मबीर ने कई काम किए. उन्होंने बतौर एक एलआईसी एजेंट भी काम किया और तबउन्हें महीने के 16 हजार रुपये मिलते थे. हालांकि, यह अलग बात है कि उनके महीने का खर्च 40 हजार रुपये था.
-हमें फक्र है कि धर्मवीर हमारे देश के हैं. वो न सिर्फ़ मेहनती हैं बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत हैं. उम्मीद है कि वो हमारे देश के लिए ओलंपिक में मेडल लेकर आएंगे.