अम्बिकापुर निवासी राहुल गुप्ता ने दुनिया की सबसे उंची चोटी एवरेस्ट की 8 हजार 848 मीटर उंचाई पर भारत का परचम लहराते हुए छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाया है। इस अभियान को राहुल ने 22 अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोहियों के साथ शुरू किया।
इस अभियान के संबंध में राहुल गुप्ता ने बताया कि 8 अप्रैल को नेपाल होते हुए वे बेस कैम्प पहुंचे जहां से 5 कैम्प से होते हुए 22 दिन के कड़ी मशक्कत के बाद समस्त प्राकृतिक आपदाओं को थामते हुए 14 मई की सुबह एवरेस्ट की चोटी फतह की,जितना मुश्किल एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचना मुष्किल था,वापसी की यात्रा भी भीषण संकट से भरी रही।
इस दौरान 12 से 16 घंटे तक करीब 120 किलोमीटर की प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाले तूफान का सामना करना पड़ा।
एवरेस्ट फतह करने की खुशी महसूस करने से ज्यादा जरूरी पूरे दिन को सुरक्षित करना था। वे पूरी टीम की हौसला आफ्जायी और नेतृत्व करते रहे, जिससे सभी साथी धैर्य और हिम्मत के साथ बंधे रहे। तेज तूफान के चलते राहुल को स्नो ब्लाइंडनेस और फ्रोस्ट बाईट हो गया। जब तक राहुल गुप्ता अपने साथियों के साथ कैम्प 4 तक पहुंचे तब तक बायी और दायीं ऑख का विजन 15 प्रतिशत तक ही रह गया।
कैम्प 2 से राहुल गुप्ता को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया और काठमांडू के हास्पिटल में भर्ती कराया गया। सही समय पर अस्पताल में भर्ती होने से राहुल गुप्ता की जान बच सकी। इस पूरे सफर में बाधाएं और कठिनाई आई, लेकिन राहुल गुप्ता अपनी मंजिल की ओर आगे बढ़ते रहे और छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाया। साथ ही पर्वतारोहण क्षेत्र के स्वर्णिम अध्याय की शुरूआत की।