अध्यात्म डेस्क. हर महीने पूर्ण चांद निकलने के दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। इस चलते आज पौष पूर्णिमा मनाई जा रही है। पूर्णिमा के दिन ही सत्यनारायण की पूजा भी की जाती है। हिंदू धर्म में सत्यनारायण की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है जिसमें भक्त प्रयासरत रहते हैं कि अपने आराध्य विष्णु को प्रसन्न कर सकें जिससे उनकी मन मांगी मुरादें पूरी हों। पूर्णिमा शुक्रवार के दिन पड़ रही है इस चलते आज मां लक्ष्मी का पूजन भी किया जा सकता है। मां लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी हैं जिस चलते दोनों ही पूजा का महत्व मान्यतानुसार बढ़ गया है।
सत्यनारायण की पूजा का प्रारंभ व समापन
मान्यतानुसार सत्यनारायण की पूजा इस साल 6 जनवरी के दिन पड़ रही है। पूजा का प्रारंभ होने की तिथि 6 जनवरी, 2 बजकर 29 ए.एम और समापन की तिथि 7 जनवरी, सुबह 4 बजकर 52 मिनट तक है। पूजा के शुभ मुहुर्त की बात करें तो उदयातिथि के अनुसार पूरे दिन ही भगवान सत्यनारायण की पूजा की जा सकती है। वहीं, पूर्णिमा के दिन शाम के समय इस पूजा को करना विशेषकर फलदायी माना जाता है।
सत्यानारायण पूजा विधि
सत्यनारायण की पूजा करने के लिए नारियल, सुपारी, लौंग, रोली, पंचामृत, मिठाई, पंचमेवा, फल, फूल, धूप, अगरबत्ती, काले तिल, आम के पत्ते और घी आदि सामग्री सम्मिलित की जाती है।
पूजा के लिए सुबह उठकर निवृत्त होकर स्नान करते हैं। इसके बाद साफ वस्त्र पहने जाते हैं। पूजास्थल को अच्छे से साफ करने के बाद भगवान सत्यनारायण की प्रतिमा लगाई जाती है। इसके बाद पूजा शुरू करते हैं। पहले भगवान के माथे पर टीका लगाते हैं, फूल, फल और अन्य सामग्रियां अर्पित करने के बाद भोग लगाते हैं। साथ-साथ आरती और सत्यनारायण कथा का पाठ भी होता रहता है। इस पूजा को करने पर माना जाता है कि जीवन सुख-समृद्धि, उल्लास और खुशियों से भर जाता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। फटाफट न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता है।)