तिलक लगाना सात्विकता का प्रतीक है। कोई भी शुभकार्य करने से पहले तिलक लगाने की परंपरा सदियों से विद्यमान है। तिलक अमूमन हल्दी, कुमकुम, चंदन और रोली से लगाया जाता है। तिलक लगाने के बाद अक्षत यानी चावल लगाने की भी परंपरा है।
तिलक लगाने के बाद चावल लगाने का भी प्रचलन है, अक्षत यानी चावल शांति का प्रतीक है। इसलिए तिलक लगाने के बाद चावल लगाया जाता है। मस्तिष्क के जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है, उसे आज्ञाचक्र कहा जाता है। शरीर शास्त्र के अनुसार यहां पीनियल ग्रंथि होती है। तिलक पीनियल ग्रंथी को उत्तेजित बनाए रखती है। ऐसा होने पर मस्तिष्क के अंदर दिव्य प्रकाश की अनुभूति होती है।
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इसलिए पूजा, पाठ के दौरान मस्तिष्क के मध्य में तिलक लगाने का रिवाज है। स्त्रियां अमूमन अपने मस्तिष्क के मध्य में कुमकुम लगातीं हैं। यह लाल रंग का होता है। लाल रंग ऊर्जा का प्रतीक होता है। तंत्र शास्त्र में मस्तिष्क पर तिलक देव रूप का प्रतीक माना गया है। ऐसा करने पर मानसिक शांति मिलती है। ध्यान के दौरान मस्तिष्क पर तिलक लगा हो तो एकाग्रचित्त जल्द हो जाते हैं।