वास्तुशास्त्र अनुसार घर की सीढ़ियाँ निर्माण अनुरूप होने पर मनुष्य को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में कामयाबी मिलती है।इसके लिए अपने घर का निर्माण कराते समय निम्नलिखित बिन्दुओं का ध्यान अवश्य रखना चाहिए.
यदि घर में पूर्व से पश्चिम की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो भवन मालिक को लोकप्रियता और यश की प्राप्ति होती है।
यदि घर में उत्तर से दक्षिण की तरफ चढ़ने वाली सीढ़ियाँ हों तो घर के मालिक को धन की प्राप्ति होती है।
घर की दक्षिण दीवार के सहारे सीढ़ियाँ धनदायक होती हैं।
घर की सीढ़ियाँ प्रकाशमान और चौड़ी होनी चाहिए. सीढ़ियों की विषम संख्या शुभ मानी जाती है. सामान्यतः एक मंजिल पर सत्रह सीढ़ियाँ शुभ मानी जाती हैं।
घर की घुमावदार सीढ़ियाँ श्रेष्ठ मानी जाती हैं. सीढ़ियों का घुमाव घड़ी की परिक्रमा-गति के अनुसार होना चाहिए।
यदि घर की सीढ़ियाँ सीधी हों तो दाहिनी ओर ऊपर जाना चाहिए।
घर के मध्य भाग में भूलकर भी सीढ़ी न बनाएँ अन्यथा सकती है बड़ी हानि हो।
घर के पूर्व दिशा में सीढ़ियाँ हों, तो हृदय रोग बनाती हैं।
यदि घर की सीढ़ियाँ चक्राकार सर्पिल हों, तो ‘ची’ ऊर्जा, ऊपर की ओर प्रवाहित नहीं हो पातीं, जिससे भवन मालिक को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
घर के ईशान कोण में बनी सीढ़ी पुत्र संतान के विकास में बाधक होती है।
घर के मुख्य दरवाजे के सामने बनी सीढ़ी आर्थिक अवसरों को समाप्त कर देती है।
घर की सीढ़ियों के नीचे पूजाघर का निर्माण नहीं करना चाहिए।
घर को बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि मुख्य दरवाजे पर खड़े व्यक्ति को घर की सीढ़ियाँ दिखाई नहीं देना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के इन छोटे-छोटे उपायों से आप अवश्य ही शांति का अनुभव करेंगे।
ज्योतिषशास्त्र ने बहुत से क्षेत्रों की खोज है तथा उसके बहु आयाम है। सत्य तो यह है कि कोई नहीं जानता कि आने वाले कल क्या होगा. हम दिन-प्रतिदिन के कामकाज में परिणामों का केवल अनुमान ही लगाते रहते हैं. अनेकों बार हमारा अंदाजा सही भी निकलता है और कई बार उम्मीदों के विपरीत परिणाम आते हैं. यह उसी प्रकार से है जैसे तपती धूप में व्यक्ति स्वयं को धूप से बचाने के लिये छाता तो लगा सकता है, परन्तु सूर्य को नहीं हटा सकता है। इसलिये ज्योतिषशास्त्र पर विश्वास रखने के साथ ही हमें पुरूषार्थ भी करना चाहिये।