अध्यात्म डेस्क. हिंदू धर्म में नाग पचंमी के त्योहार का बहुत ही महत्व होता है. इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ नाग देवता की भी पूजा की जाती है. हर साल श्रावण मास की शुक्ल की पंचमी तिथि को यह पर्व मनाया जाता है. इस बार नाग पंचमी बहुत ही दुर्लभ योग में पड़ रही है.
नाग पंचमी में पूरे 125 सालों बाद ऐसा संयोग लग रहा है जब सावन के सोमवार के दिन नाग पचंमी का पर्व पड़ रहा है. जिसके कारण इस पर्व का फल दोगुना मिलेगा. संयोग के साथ-साथ इस दिन यायीजयद योग के साथ हस्त नक्षत्र है.
उत्तर भारत और दक्षिण भारत में अलग-अलग तिथि में नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. जहां उत्तर भारत में सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. वहीं दक्षिण भारत में ये पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है. इस बार नाग पंचमी 5 अगस्त को मनाई जाएगी.
नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त…
5 अगस्त के दिन नाग पंचमी का शुभ मुहूर्त सुबह 5:49 से 8:28 के बीच पड़ रहा है. जबकि तिथि समाप्ति इसी दिन दोपहर 3:54 तक रहेगी.
ऐसे करें नांग पंचमी के दिन पूजा…
नाग पंचमी के दिन सर्प को देवता मान कर पूजा करते हैं. इस दिन पूजा की विशेष विधि होती है. गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी की सुबह स्नान आदि करके शुद्ध होने के पश्चात भक्त अपने घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर नाग का चित्र बनाएं या प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद फल, सुगंधित पुष्पों नाग देवता पर दूध चढ़ाते हुए पूजा करें.
नागपंचमी पर रुद्राभिषेक का भी अत्यंत महत्व है. पुराणों के अनुसार पृथ्वी का भार शेषनाग ने अपने सिर पर उठाया हुआ है इसलिए उनकी पूजा अवश्य की जानी चाहिए. ये दिन गरुड़ पंचमी के नाम से भी प्रसिद्ध है और नाग देवता के साथ इस दिन गरुड़ की भी पूजा की जाती है…