भोपाल दुनियाभर में अपनी सिनेमेटोग्राफी के लिए चर्चित बाहुबली फिल्म की कहानी का कनेक्शन मध्यप्रदेश से है । इसका फिलहाल कोई मौजूदा साक्ष्य या फिर कोई प्रमाणित दस्तावेजो तो नही है । लेकिन सोशल मीडिया मे इन दिनो इस चर्चित फिल्म के मध्यप्रदेश कनेक्शन की चर्चा ने काफी जोर पकड लिया है। वालीबुड की सबसे बडी और सबसे अधिक कमाई कर चुकी इस फिल्म की कहानी भले ही काल्पनिक हो , लेकिन सोशल मीडिया मे लोग इस फिल्म का कहानी मध्यप्रदेश के धार्मिक नगरी महेश्वर से जोड रहे है।
ऐतिहासिक अभिलेखों की जानकारी के अनुसार माहिष्मती मध्य प्रदेश के खरगोन ज़िले में स्थित धार्मिक नगर ‘महेश्वर’ का प्राचीन नाम था । इसका उल्लेख महाभारत और दीर्घनिकाय सहित अनेक ग्रन्थों में भी मिलता है । यह साम्राज्य नर्मदा के तट पर स्थित था और महाभारत के समय यहां राजा नील का राज्य था । जिसे सहदेव ने महाभारत युद्ध में परास्त किया था ।
‘ततो रत्नान्युपादाय पुरीं माहिष्मतीं ययौ। तत्र नीलेन राज्ञा स चक्रे युद्धं नरर्षभ:…इस शहर का उल्लेख हरिवंम्सा में भी किया गया है । जिसमें यह कहा गया है कि इस शहर को राजा महिष्मत ने स्थापित किया था । जो खुद यदु ऋग वेद में वर्णित पांच भारतीय आर्य जनजातियों में से एक के सहजन के उत्तराधिकारी थे । अन्य कथाओं के अनुसार इस शहर के संस्थापक राजा मुकुकुंडा थे जो खुद भी यदु के वंशज थे । बौद्ध साहित्य में माहिष्मती को दक्षिण अवंति जनपद का मुख्य नगर बताया गया है । बुद्ध काल में यह नगरी व्यापारिक केंद्र के रूप में विख्यात थी । उज्जयिनी की प्रतिष्ठा बढ़ने के साथ-साथ इस नगरी का गौरव कम होता गया । फिर भी गुप्त काल में 5वीं सदी तक माहिष्मती का बराबर उल्लेख मिलता है ।
कालिदास ने ‘रघुवंश’ में इंदुमती के स्वयंवर के प्रसंग में नर्मदा तट पर स्थित माहिष्मती का वर्णन किया है । यहां के राजा का नाम ‘प्रतीप’ बताया है ‘अस्यांकलक्ष्मीभवदीर्घबा
माहिष्मति नरेश को कालिदास ने अनूपराज भी कहा है, जिससे ज्ञात होता है कि कालिदास के समय में माहिष्मति का प्रदेश नर्मदा नदी के तट के निकट होने के कारण अनूप कहलाता था। पौराणिक कथाओं में माहिष्मति को हैहय वंशीय कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु की राजधानी बताया गया है। किंवदंती है कि इसने अपनी सहस्त्र भुजाओं से नर्मदा का प्रवाह रोक दिया था। बहरहाल बाहुबली फिल्म बेशक एक काल्पनिक फिल्म है । लेकिन इसमें दिखाया गया महिष्मती साम्राज्य इतिहास के पन्नों में भव्यता और प्रतिष्ठा के साथ मौजूद है ।