ज्योतिरादित्य सिंधिया की तीरंदाजी का तीर कमलनाथ के सीने में!



जबलपुर. मध्य प्रदेश की राजनीतिक महाभारत के अर्जुन कहलाने वाले ज्योतिराज सिंधिया आज जबलपुर के खेल मैदान में ये यह बात भले ही कह गए कि, खेल के मैदान में सिर्फ खेल की बात होगी सियासत की नहीं, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरकस से निकले तीर यह बता रहे थे कि उनका निशाना कहां लग रहा है। किसी सुलझे हुए खिलाड़ी और मंझे हुए राजनीतिक की तरह महराज पहले एक लंबी सांस भरते फिर सोचते की निशाना कैसे और कहां लगाना है। महाराज के आगे कहने के लिए जरूर कहा जा सकता है कि लक्ष्य था लेकिन महाराज को ये बात बेहतर पता थी कि, टारगेट कौन है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के तरकस से निकले तीर इस खेल के मैदान में भले ही सटीक निशाने पर ना लगे हो, लेकिन पिछ्ले दो साल के राजनीतिक इतिहास के पन्ने पलट कर देख जाए तो, साफ साफ देखा जा सकता है कि, उनके तीर बिल्कुल सटीक निशाने पर लगे है जिसके निशान आज भी कमलनाथ के सीने पर साफ साफ देखे जा सकते हैं। महाराज ने मंच से यह जरूर कह दिया कि, खेल के मैदान में सियासत की बात करना मुनासिब नहीं है लेकिन महाराज का यह अंदाज साप बयां कर रहा था कि, ये निशाना आने वाले 2023 के विधनसभा और 2024 के लोकसभा चुनाव पर है।

मायने यह नहीं रखता कि, मैदान खेल का है। सवाल यह उठता है कि, ये खिलाड़ी किसका है? कहीं केंद्रीय नेतृत्व मध्यप्रदेश की राजनितिक महाभारत के इस अर्जुन को मैदान में उतारकर एक तीर से कई निशाने लगाने के मूड़ में तो नहीं। पिछले कुछ समय से ज्योतिरादित्य सिंधिया जिस तरह से मध्य प्रदेश की राजनीति में उभरकर सामने आए हैं कहीं इस खेल के मैदान के जरिए उनके लिए सियासत का मैदान तो नहीं तैयार किया जा रहा।

महाराज कोई महाभारत एकलव्य नहीं है जिसने बिना गुरु के ही धनुर्विद्या सीख ली थी। राजनीति के इस अर्जुन के पास गुरु द्रोणाचार्य भी है और अमित शाह जैसा राजनीतिक चाणक्य भी।