भोपाल : रक्षाबंधन पर बाजार में एक तरफ डिजाइनर राखियों से दुकानें सजी हुई हैं, तो दूसरी तरफ गोबर से बनी इको फ्रेंडली राखियां भी सभी को आकर्षित कर रही है। रक्षाबंधन पर ये वैदिक राखियां लोगों को पसंद आ रही हैं। गोबर की राखियों के जरिए गोवंश की रक्षा का अभियान भी चलाया जा रहा है।
गोबर और मिट्टी से तैयार की जा रहीं राखियां
पुराने शहर में रहने वाले जितेंद्र राठौर और उनका पूरा परिवार गोबर की वैदिक राखियां तैयार कर रहा है। जितेंद्र राठौर का कहना है कि गाय के गोबर में मिट्टी मिलाकर वैदिक राखियां तैयार की जा रही है। मिट्टी और गोबर को सांचे में भरकर स्वास्तिक, ओम और दूसरी डिजाइन की राखियां तैयार की जा रही है। हर्बल कलर से पेंट कर घर पर ही राखियां तैयार करने का पूरा काम किया जा रहा है। गोबर राखियों की कीमत सिर्फ 8 से 10 रुपये ही रखी गई हैं। गोबर से तैयार इको फ्रेंडली राखियों को इस बार बहुत अच्छा रिस्पांस मिला है. बड़ी संख्या में लोगों ने ऑर्डर देकर गोबर से बनी हुई राखियां तैयार करवाई हैं।
गोवंश बचाने के अभियान में राखी
गोबर की राखियां तैयार करने वाले जितेंद्र राठौर का कहना है कि इको फ्रेंडली राखियों के जरिए गोवंश को बचाने का अभियान भी चलाया जा रहा है। ताकि लोग भी गोवंश की रक्षा करने का संकल्प लें। अपनी संस्कृति और विरासत को सहेजने की दिशा में आगे बढ़ें। गाय के गोबर से बनी वैदिक राखियों को तैयार करने के साथ ही गणपति उत्सव के लिए गोबर से बने हुए गणपति तैयार किए जा रहे हैं। पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले तोरण और घर के दूसरे डेकोरेटिव आइटम्स भी गाय के गोबर से तैयार कर रहे हैं। इसकी डिमांड अब धीरे-धीरे बढ़ रही है।
बाजारों से चाइनीज राखियां हुईं गायब
इको फ्रेंडली, गोबर की राखियों के साथ-साथ इस बार बाजारों में एकबार फिर से रौनक लौटी है। राखी पर डिजाइनर राखियों से बाजार सजे हुए हैं। राखी पर इस बार सिर्फ देसी राखियां ही मार्केट में पहुंची हैं। इस बार चाइनीज राखियां दुकानों और बाजारों से पूरी तरह से गायब नजर आई हैं। स्टोन, कुंदन कौड़ी राखी, लटकन और भाभी राखियां डिमांड में हैं। व्यापारियों को इस बार राखी से अच्छे व्यापार की उम्मीद है। बीते साल लॉकडाउन के चलते रक्षाबंधन पर बाजार बंद थे। वहीं इस बार बहनें भी अपने भाइयों के लिए मनपसंद राखी खरीदने को लेकर उत्सुक दिखी।