राजनीति में आई विद्रूपताओं को दूर कर लोकतंत्र को निखारना आवश्यक है। माधवराव सप्रे समाचार-पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान में वरिष्ठ पत्रकार स्व. भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान माला में आज प्रखर वक्ताओं ने ‘विधायिका का औचित्य और जन-प्रतिनिधियों का बर्ताव’ विषय पर विचार व्यक्त करते हुए यह बात कही। व्याख्यान माला में मुख्य अतिथि पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव के साथ ही प्रमुख वक्ता के रूप में समाजवादी नेता और चिंतक श्री रघु ठाकुर तथा पूर्व मुख्य सचिव श्री के.एस. शर्मा ने उदगार व्यक्त किये। स्व. भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान माला समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सप्रे संग्रहालय के संस्थापक पदमश्री श्री विजयदत्त श्रीधर ने की।
ग्रामीण विकास मंत्री श्री गोपाल भार्गव ने व्याख्यान माला में कहा कि क्षेत्रीयता, जातिवाद और संप्रदायवाद से लोकतंत्र का अहित हुआ है। विधायिका, जनहित के कानून तथा लोक-कल्याणकारी योजनाएँ बनाने के कार्य को प्राथमिकता नहीं दे पा रही है। सामान्य सहमति और समझ के बगैर ही तथा सदन में सदस्यों की पर्याप्त उपस्थिति न होने की वजह से महत्वपूर्ण विधेयक संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित हो रहे हैं। इससे आम लोगों की भलाई से जुड़ी योजनाएँ और भावी विकास भी प्रभावित हो रहा है। इसी वजह से संसदीय संस्थाओं के प्रति आम लोगों का विश्वास घटा है। इस क्षरण के लिये पक्ष और विपक्ष दोनों ही जिम्मेदार हैं। श्री भार्गव ने कहा कि हमें मौजूदा परिस्थितियों में पुनर्विचार कर संविधान में जरूरी बदलाव लाना होगा। श्री भार्गव ने अपने राजनैतिक जीवन के आरंभ में स्व. श्री देवलिया की प्रेरणा से मिली सफलताओं को भी अभिव्यक्त किया। उन्होंने मीडिया से भी अपेक्षा की कि स्व. श्री देवलिया की तरह स्वस्थ पत्रकारिता को बढ़ावा दें तथा जन-हित की सकारात्मक खबरों को भी प्रमुख जगह मिले।
श्री रघु ठाकुर ने व्याख्यान माला में कहा कि मौजूदा परिस्थितियों में चारित्रिक पतन और मूल्यन की घटनाओं से विधायिका के औचित्य पर सवाल उठ खड़े हुए हैं। संसदीय प्रणाली पर आये खतरों से आगाह करते हुए उन्होंने कहा कि संसद और विधानसभा का संचालन बार-बार प्रभावित होने से गरीब और कमजोर तबकों की समस्याओं पर ठीक से चर्चा नहीं हो पाती। किसी गैर-जिम्मेदाराना बयान पर चर्चा ज्यादा होती है। अनेक जन-प्रतिनिधियों का व्यवहार अलोकतांत्रिक हो गया है। भाषा की मर्यादा और संसदीय परम्पराएँ खत्म हो रही हैं तथा परस्पर शत्रुता, असंसदीय, अलोकतांत्रिक भाषा का प्रयोग बढ़ा है। जन-अपेक्षाओं का यह क्षरण चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि जन-प्रतिनिधियों का यह दृष्टिकोण बदलने की जरूरत है अन्यथा लोग इस प्रणाली के खिलाफ आन्दोलित हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि श्री देवलिया ने पत्रकारिता की नैतिक मर्यादाओं का उल्लघंन कभी नहीं किया। स्व. देवलिया का व्यवहार, जीवन-शैली और आचरण संतमय था।
पूर्व मुख्य सचिव श्री के.एस. शर्मा ने कहा कि 67 वर्ष में लोकतंत्र की जड़ें और गहरी हुई हैं। मतदाताओं ने निर्वाचन के दौरान कुशासन, तानाशाही और भ्रष्टाचार के मुद्दों के खिलाफ मत देकर लोकतंत्र की रक्षा की है। श्री शर्मा ने कहा कि सहिष्णुता और सभी के विचारों को सुनने की आदत हमारे देश की परम्परा में है। इसी से जन-कल्याण के संकल्प और विचार पैदा होते हैं। देश की आजादी के बाद संसद में जो बहस होती थी उससे जन-हितकारी नीतियों और कानूनों के सुधार में मदद मिलती थी, लेकिन अब अक्सर विधायिका कानून बनाने के कार्यों को पर्याप्त समय नहीं दे पा रही है। श्री शर्मा ने कहा कि सही नेतृत्व की कमी इसका कारण है। उन्होंने मीडिया की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का सशक्त प्रहरी है। आपातकाल, सेंसरशिप तथा अभिव्यक्ति की स्वंतत्रता को कुचलने के प्रयासों का मीडिया ने कड़ा मुकाबला किया है और गंभीर मामलों को पूरी साफगोई के साथ देश के सामने रखा है।
कार्यक्रम अध्यक्ष श्री विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि लोकतंत्र में शक्ति जनता के पास होती है और सही इस्तेमाल से लोग देश की दिशा तय करते हैं। उन्होंने कहा कि पहले संसद में किसान, मजदूर तथा सामान्य वर्ग के सदस्य अधिक संख्या में थे। अब व्यवसायी और पूँजीवादी तबकों के सदस्यों के संख्या में इजाफा हो रहा है। श्री श्रीधर ने मौजूदा परिस्थितियों में उदासीन समाज को जागरूक बनाने तथा सकारात्मक बदलाव के लिये सही रास्ते तलाशने की जरूरत बताई।
प्रारंभ में वरिष्ठ पत्रकार श्री शिवअनुराग पटैरिया ने स्वागत सम्बोधन में व्याख्यान माला आयोजन की विशेषताओं को बताया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री गोपाल भार्गव ने छतरपुर के युवा पत्रकार श्री आशीष खरे को स्व. भुवन भूषण देवलिया स्मृति व्याख्यान माला समिति द्वारा स्थापित ‘प्रथम पत्रकारिता सम्मान’ से सम्मानित किया। श्री खरे को शाल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र तथा 11 हजार रुपये की सम्मान राशि भेंट की गई। कार्यक्रम में स्मारिका का विमोचन भी हुआ। इस अवसर पर स्व. भुवन भूषण देवलिया की धर्मपत्नी और व्याख्यान माला समिति की संयोजक श्रीमती कीर्ति देवलिया, सचिव डॉ. अपर्णा एलिया, श्रीमती अनामिका जोशी, श्री आशीष देवलिया ने सभी अतिथियों को स्मृति-चिन्ह भेंट किये। कार्यक्रम का संचालन श्री विजय मनवानी ने किया। वरिष्ठ पत्रकार श्री राजेश सिरोठिया ने आभार माना।
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