मनोरंजन डेस्क। हिंदी फ़िल्म जगत के चरित्र अभिनेता कादर खान की ज़िंदगी के कई साल गरीबी में बीते। उनके माता-पिता काबुल से मुंबई आए थे। कमाठीपुरा के एक गंदे स्लम में कादर खान का बचपन बीता। गरीबी इतनी कि कई बार कादर खान को भूखे पेट गुजारा करना पड़ा। लेकिन उनकी मां की वजह से कादर खान ने अच्छी शिक्षा हासिल की और कॉलेज तक पहुंचे।
कादर खान कॉलेज में हो रहे नाटकों में हिस्सा लेते थे। धीरे-धीरे वो नाटक लिखने के साथ-साथ निर्देशन भी करने लगे। उसी दौरान कादर खान ने एक नाट्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जहां उनके नाटक को सभी श्रेणियों में अवॉर्ड मिला। इस जीत के बाद कादर खान को जब पुरस्कार के पंद्रह सौ रुपए मिले तो वो खुद पर यकीन नहीं कर पाए थे। एक साथ पंद्रह सौ रुपए उन्होंने पहली बार देखा था।
कादर खान के इस किस्से का जिक्र सिने प्राइम मीडिया को दिए एक साक्षात्कार में किया था। कादर खान ने बताया था, ‘ऑल इंडिया ड्रामेटिक कंपटीशन में मेरा एक नाटक हुआ जिसका नाम था, लोकल ट्रेन। उस प्ले को ऑल इंडिया बेस्ट प्ले का अवॉर्ड दिया गया। उसे बेस्ट राइटर, बेस्ट एक्टर, बेस्ट डायरेक्टर के सारे अवॉर्ड मिले। और मुझे नकद पुरस्कार पंद्रह सौ रुपए एक साथ मिले।’
कादर खान ने आगे बताया था, ‘मैंने जिंदगी में पहली बार पंद्रह सौ रुपए एक साथ देखे थे। मुझे यकीन नहीं हो रहा था, मेरे पैर ज़मीन पर कांपने लगे कि पंद्रह सौ रुपए मेरे हाथ में। तीन सौ रुपए पाने वाला पंद्रह सौ रुपए एक साथ पाए तो क्या हाल होगा उसका।’
कादर खान के नाटक को जिन जजों ने सर्वश्रेष्ठ करार दिया था, उनमें डायरेक्टर नरेंद्र बेदी भी शामिल थे। उन्होंने कादर खान को अपने पास बुलाया और पूछा था कि क्या वो फिल्मों के लिए डायलॉग लिखेंगे। कादर खान ने हां कर दिया था और यही से बतौर लेखक उनका फिल्मी सफर शुरू हो गया था।
कादर खान ने बतौर एक्टर राजेश खन्ना की फ़िल्म, ‘दाग’ से डेब्यू किया था। फ़िल्म साल 1973 में आई थी जिस दौरान राजेश खन्ना सुपरस्टार हुआ करते थे। कादर खान ने अमिताभ बच्चन और गोविंदा के साथ सबसे ज्यादा फिल्में की। गोविंदा के साथ उनकी कॉमेडी फिल्मों को काफी पसंद किया गया। गोविंदा उन्हें अपने पिता की तरह मानते थे।