बहाई मंदिर जिसे लोटस टैंपल भी कहा जाता है……..

नेहरु प्लेस की पूर्व दिशा में स्थित कमल के फूल के आकार का यह मंदिर पूरे विश्व में बने सात बड़े मंदिरों में अंतिम बना मंदिर है। 1986 में पूर्ण हुआ यह मंदिर हरे-भरे बागों के बीच स्थित है।

 

यह मंदिर शुद्ध सफेद संगमरमर से निर्मित है। इसके शिल्पकार फ्यूरीबुर्ज सबा ने कमल को प्रतीक के रूप में चुना जो हिन्दू, बौद्ध, जैन और इस्लाम धर्म में समान है।

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प्रत्येक सम्प्रदाय के अनुयायी मंदिर में निःशुल्क प्रवेश कर सकते हैं और प्रार्थना अथवा ध्यान कर सकते हैं।

 

कमल की खिली हुई पंखुड़ियों के चारों ओर पानी के नौ तालाब है, जो प्राकृतिक प्रकाश में प्रकाशमान होते हैं।  गोधूलि वेला में रोशनी में नहाया बहाई मंदिर शानदार दिखाई देता है।

 

 

कहां स्थित है: गोल मार्किट के नज़दीक,

मंदिर मार्ग, कनॉट प्लेस
नज़दीकी मेट्रो स्टेशन: आर.के.आश्रम मार्ग
समय: प्रातः 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक (दर्शन का सर्वश्रेष्ठ समय प्रातःकाल अथवा सायंकाल की आरती)
प्रवेश: निःशुल्क
बंद रहने के दिन: कोई नहीं
फोटोग्राफी: प्रार्थना भवन में अनुमति नहीं है