हो जाएं सावधान! लापरवाही ले सकती है आपकी जान, IMA ने एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल पर जारी की चेतावनी

नई दिल्ली. देशभर में मौसम बदल रहा है। इसके चलते लोगों में बुखार, सर्दी- -जुखाम के मामले में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में लोग डॉक्टर की सलाह लिए बिना दवाओं का सेवन कर रहे हैं, जिसको लेकर इंडियन मेडकिल एसोसिएशन ने एडवाइजरी जारी करते हुए एंटीबायोटिक्स से बचने की सलाह दी है। आईएमए ने कहा कि खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

अधिकांश मामले इन्फ्लुएंजा वायरस के

आईएमए ने बताया कि ये संक्रमण औसतन पांच से सात दिनों तक रहता है। बुखार तीन दिनों में खत्म हो जाता है, लेकिन खांसी तीन हफ्ते तक बनी रह सकती है। एनडीसी की जानकारी के मुताबिक इनमें से अधिकांश मामले में H3N2 इन्फ्लुएंजा वायरस के हैं। आईएमए ने डॉक्टरों को सलाह दी कि वे एंटीबायोटिक्स देने से परहेज करें।

IMA ने एंटीबायोटिक्स से परहेज करने को कहा

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने चिकित्सकों से मौसमी बुखार, सर्दी और खांसी के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के नुस्खे से बचने के लिए कहा है। आईएमए ने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक नोटिस के जरिए यह घोषणा की। नोटिस में कहा गया है कि मौसमी बुखार एक सप्ताह से अधिक नहीं रहेगा और एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचने की जरूरत है। वहीं पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में वायरल के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

10 में से 4 परिवार वायरल से परेशान

एक सर्वेक्षण के मुताबिक पिछले 30 दिनों में 10 में से चार परिवारों में एक या एक से अधिक व्यक्ति लगातार खांसी, जमाव, थकान, शरीर में दर्द और बुखार से पीड़ित है। LocalCircles को शहर के 1,000 से अधिक घरों से वायरल की जानकारी मिली। जिसमें 63 फीसदी पुरुष और 37 फीसदी महिलाएं शामिल हैं। जबकि 13 फीसदी परिवारों में एक सदस्य वायरल चके चपेट में हैं। वहीं 13 फीसदी परिवार में दो से तीन लोग इस वक्त वायरल से गुजर रहे हैं। इसके अलावा 13 फीसदी परिवार के चार या उससे अधिक लोग इस वक्त बीमार हैं।

80 फीसदी मामले एडेनोवायरस से संबंधित हैं

मौके पर मौजूद डॉक्टरों ने लोकल सर्कल्स को बताया कि स्कूली बच्चे एडेनोवायरस से प्रभावित हैं और अधिकांश का इलाज ओपीडी के जरिये किया जा रहा है, साथ ही चिकित्सकों ने यह भी बताया कि 70 से 80 फीसदी मामले, जिन्हें अच्छी देखभाल की जरूरत है उनमें अधिकतर मामले एडेनोवायरस से संबंधित हैं।