नई दिल्ली. इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के खिलाफ 85 वर्षीय एक शख्स सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। हाई कोर्ट ने उन्हें एक 42 साल पुराने केस में 6 महीने जेल की सजा सुनाई है। मामला बस इतना है कि वह 1981 में दूध में पानी मिलाकर बेचा करते थे। हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी पाया। अब शख्स सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। बुलंदशहर के रहने वाले वीरेंद्र सिंह ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा कि वह पहले ही दो महीने की जेल की सजा काट चुका है और 2,000 रुपये का जुर्माना भर चुका है।
मौजूदा समय उसकी बिगड़ती स्वास्थ्य स्थितियों को देखते हुए उसे रिहा किया जाना चाहिए। दोषी की ओर से एक वकील ने जस्टिस अनिरुद्ध बोस और राजेश बिंदल की अवकाश पीठ के समक्ष मामले का पेंशन किया। पीठ गुरुवार को सजा के निलंबन के लिए उनकी याचिका पर विचार करने पर सहमत हो गया। याचिकाकर्ता, जो पूरे समय जमानत पर रहा उसने 20 अप्रैल, 2023 को आत्मसमर्पण कर दिया था।
अपनी याचिका में बुजुर्ग ने कहा कि छह महीने में से शेष अवधि की सजा को उचित राशि के जुर्माने से बदला जाना चाहिए। मौजूदा मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए बुजुर्ग ने यह दलील दी। विशेष रूप से तथ्य यह है कि घटना और याचिकाकर्ता को 42 साल बीत चुके हैं। बुजुर्ग ने दलील दी कि वह फेफड़ों, किडनी और अस्थमा की पुरानी बीमारी से पीड़ित हैं। हिरासत के बाद से जेल के अस्पताल के बिस्तर पर पड़े रहने के दौरान वह पहले ही एक तिहाई (दो महीने) सजा काट चुका है।
बुजुर्ग ने कहा कि अब उन्हें रिहा किया जाए। हाई कोर्ट ने दोषी को 30 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। उसने सरेंडर नहीं किया तो कोर्ट ने गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया। वारंट पिछले महीने जारी किए गए थे, जबकि हाई कोर्ट ने इस केस में एक दशक पहले ही फैसला सुनाया था। कोर्ट ने उन्हें सरेंडर करने के साथ 6 महीने की सजा पूरी करने का निर्देश दिया था। उन्होंने कोर्ट से कहा कि वह गंभीर रूप से बीमार हैं और उन्हें रिहा किया जाना चाहिए।