नई दिल्ली
सियाचिन में बर्फ के नीचे से छह दिन बाद जिंदा निकले लांस नायक हनुमनथप्पा कोप्पड़ की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। उनके दिमाग तक ऑक्सीजन नहीं पहुंच पा रही है जिससे उनकी हालत और बिगड़ गई है। उन्हें निमोनिया है और सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। पूरा देश उनकी सलामती के लिए दुआएं कर रहा है। मेडिकल बुलेटिन के मुताबिक उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। एम्स के डॉक्टरों की भी इलाज में मदद ली जा रही है। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी हालत अभी भी नाजुक है।
सेना के चिकित्सकों का एक दल तथा एम्स के विशेषज्ञों का एक पैनल कोप्पड़ की सेहत पर नजर बनाए हुए है। कोप्पड़ को कल वायु सेना के एक विमान में दिल्ली लाया गया था। उनके साथ बल का एक गंभीर स्थिति देखभाल विशेषज्ञ और आधार शिविर से एक चिकित्सा विशेषज्ञ था। कोप्पड़ का इंटेनसिविस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, नेफरोलॉजिस्ट, इंडोक्राइनोलॉजिस्ट और सर्जनों का एक दल उपचार कर रहा है।
सियाचिन ग्लेशियर में एक सप्ताह पहले बर्फ खिसकने से 30 फुट नीचे दबे रहने के बाद जीवित निकाले गये लांस नायक हनमंथप्पा कोप्पाड जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कोप्पाड को मंगलवार को सियाचिन ग्लेशियर से यहां आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल लाया गया और अस्पताल के अनुसार वह कोमा में हैं और उनकी हालत अत्यंत गंभीर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने अस्पताल जाकर बहादुर सैनिक से मुलाकात की और देश से उनके जल्द स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करने को कहा।
कल 150 से ज्यादा सैनिकों और दो खोजी श्वानों- डॉट तथा मीशा के दल ने कोप्पाड को 20,500 फुट की उंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर में बर्फ के नीचे से निकाला। उन्हें वायु सेना के एक विमान द्वारा यहां लाया गया जिसके साथ वायु सेना के एक गहन चिकित्सा विशेषज्ञ और सियाचिन आधार शिविर के एक चिकित्सक भी थे। पहले अधिकारियों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। अस्पताल की ओर से जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार सौभाग्य से लांस नायक के शरीर पर सर्दी की वजह से कोई चोट या हड्डियों को कोई चोट नहीं पहुंची है।