छत्तीसगढ़ में सरोज को मिली पटखनी… महंत की बहू ने भी झोंक दी थी ताकत.. इतिहास एक बार फिर दोहराया!

कोरबा. छत्तीसगढ़ का कोरबा लोकसभा सीट भी कभी चर्चाओं में हुआ करता था. साल 2009 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला यहाँ भाजपा की प्रत्याशी रही. लेकिन वे अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी चरणदास महंत से चुनाव हार गई. उस दौर का यह वो सीट था जो भाजपा के कब्जे में नही था. और मनमोहन सरकार में चरणदास महंत राज्यमंत्री बनाये गये थे. यह वह सीट है जिस पर एक बार फिर कांग्रेस ने कब्जा किया है. यह सीट पहले से ही कांग्रेस के पाले में था. और इस बार भी है. इस सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे बिसाहू दास महंत की बहू ज्योत्स्ना महंत दूसरी बार सांसद चुनी गई है. और इस बार उन्होंने भाजपा की फायर ब्रांड लीडर सरोज पांडे को 43283 वोटों के अंतर से पटखनी दी है.

दरअसल एक हिसाब से यह सीट कांग्रेस का ही गढ़ रहा है. छत्तीसगढ़ बनने के बाद  चरणदास महंत इस सीट से सांसद रहे. इस बीच भाजपा ने भी इस पर कब्जा किया. लेकिन पिछले कुछ समय से यह सीट कांग्रेस के खाते में है. यहाँ बिसाहू दास महंत का जिक्र इसलिए भी जरूरी है कि उनके 2 पुत्रो में से एक पुत्र चरणदास महंत प्रदेश की सक्रिय राजनीति में है. और मौजूदा दौर में वे नेता विपक्ष है. और उनकी पत्नी यानी बिसाहू दास महंत की बहू ज्योत्सना महंत एक बार फिर सांसद चुन ली गई है.

महंत की बहू की मेहनत

ज्योत्सना महंत के पति चरणदास महंत को राजनीति विरासत में मिली. बिसाहूदास महंत 1952 से सक्रिय राजनीति में थे. कांग्रेस की टिकट पर उन्होंने कोरबा लोकसभा क्षेत्र के नवागढ़, चाम्पा, नया बाराद्वार जैसी तत्कालीन विधानसभा सीटों से 6 बार विधानसभा चुनाव लड़ा. कभी नही हारे चुनाव जीतते गये. ज्योत्सना महंत के पति चरणदास महंत भी विधायक रहे. छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष रहे. अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रहे. और कोरबा लोकसभा सीट पर भाजपा ने महंत परिवार का वर्चस्व कम आंक कर लगभग गलती ही कर दी.

अपनो ने ही डुबो दी कश्ती

सरोज पांडे आज के समय मे भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव है. किसी पहचान की मोहताज नही है. सरोज पांडे के नाम महापौर, विधायक, सांसद मतलब एक साथ एक कार्यकाल में तीन पदों पर रहने का रिकार्ड है. वह ऐसे की पहले भिलाई नगर पालिक निगम की सरोज पांडे महापौर चुनी गई. उसी बीच वैशालीनगर विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में वे विधायक चुनी गई. उसके बाद 2009 के लोकसभा चुनाव में सांसद. वैसे दबे जुबाँ पर भाजपा के ही स्थानीय कार्यकर्ता सरोज का विरोध करते रहे. और आज ग्राउंड रिपोर्ट लगभग क्लियर. वही इस सीट से भाजपा के बंशीलाल महतो भी सांसद रहे है.

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