Lok Sabha Election: कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। उन्होंने इसी सप्ताह रविवार को दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया था। किसी अन्य पार्टी में शामिल होने के सवाल पर उनका कहना था कि उन्होंने सिर्फ कांग्रेस दिल्ली प्रमुख के पद से इस्तीफा दिया है। वह पार्टी नहीं छोड़ रहे हैं और कहीं नहीं जा रहे हैं। हालांकि, एक सप्ताह के अंदर ही उन्होंने अपने बयान के उलट भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया। अरविंदर सिंह लवली के प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद कांग्रेस के दो अन्य नेताओं ने इस्तीफा दिया था। पूर्व विधायक नीरज बसोया और नसीब सिंह ने दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन पर आपत्ति जताते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इन दोनों नेताओं के साथ राजकुमार चौहान भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।
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लवली ने क्यों दिया था इस्तीफा?
इस्तीफा देने के बाद अरविंदर सिंह लवली ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि मैंने अपने लिए नहीं दिया है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए मैंने ये इस्तीफा दी है। उन्होंने कहा कि यदि मेरा इस्तीफा स्वीकार हुआ है तो बावरिया जी का धन्यवाद। किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने को लेकर उन्होंने कहा कि मैं किसी दूसरी पार्टी में शामिल होने नहीं जा रहा हूं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वर्कर ने यह नहीं कहा कि मौजूदा केजरीवाल सरकार को हमने क्लीनचिट दे दिया है। उन्होंने कहा कि मैंने अपने मन की पीड़ा दिल्ली के तमाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पीड़ा को कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास भेज दिया है। मेरी पीड़ा उसूलों को लेकर है।
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कांग्रेस की प्रतिक्रिया
अरविंदर सिंह लवली के बीजेपी में शामिल होने पर दिल्ली कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा “कुछ लोगो की फितरत ऐसी होती है कि जब बाप को सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तो बेटा सबसे ज्यादा परेशान करता है। कांग्रेस ने अरविंदर सिंह लवली को बेटे की तरह माना। कांग्रेस ने अरविंदर सिंह लवली को सब कुछ दिया। आज अरविंदर लवली ने अपना किरदार दिखा दिया। कांग्रेस बहुत बड़ा समुद्र है।”
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कौन हैं अरविंदर लवली?
1998 में 30 साल के लवली दिल्ली के सबसे युवा विधायक बने थे। शीला दीक्षित सरकार में वह राज्य के सबसे युवा मंत्री भी थे। शीला दीक्षित के कार्यकाल में उन्हें शिक्षा, परिवहन और शहरी विकास जैसे अहम मंत्रालय मिले। लवली के मंत्री रहते ही ब्लूलाइन बसों की जगह नई और बेहतर व्यवस्था लाई गई। उन्हीं के मंत्री रहते दिल्ली आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए निजी स्कूलों में 25 फीसदी आरक्षण लागू करने वाला पहला राज्य बना। 2013 में उनकी अगुआई में कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी। हालांकि, उन्होंने आम आदमी पार्टी का समर्थन किया। 2015 में कांग्रेस को बुरी तरह हार मिली। 2017 में वह बीजेपी में चले गए। 2018 में फिर कांग्रेस में लौट आए। अब उन्होंने दोबारा कांग्रेस छोड़ बीजेपी का हाथ थामा है।