40 रुपये तक आ जाएगा प्याज, बहुत जल्द नीचे गिरने वाले हैं दाम! अधिकारी ने बताया कब होगा ऐसा


नई दिल्ली
फटाफट न्यूज नेटवर्क


उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने सोमवार को कहा कि सरकार को उम्मीद है कि जनवरी तक प्याज की कीमतें मौजूदा औसत कीमत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ जाएंगी।

सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम और मंडियों में 60 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब पहुंचने के बाद अगले साल मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।

जनवरी में कम होंगी कीमतें

पत्रकारों द्वारा सवाल पूछे जाने पर कि प्याज की कीमतें 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे कब तक आएंगी, सिंह ने कहा, “बहुत जल्द… जनवरी।” सिंह ने ‘डेलॉयट ग्रोथ विद इम्पैक्ट गवर्नमेंट समिट’ के मौके पर कहा, “किसी ने कहा है कि यह (कीमत) 100 रुपये प्रति किलोग्राम को छू जाएगी। हमने कहा कि यह कभी भी 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगी। आज सुबह ऑल इंडिया एवरेज 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम रहा और यह 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगा।”

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

इस वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया। मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं। सरकार ने कीमतों पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं।

इस साल 28 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक प्याज के निर्यात पर 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया है, साथ ही अगस्त में भारत ने प्याज पर 31 दिसंबर तक 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था। अक्टूबर में सब्जियों की थोक मूल्य महंगाई -21.04 प्रतिशत तक कम हो गई।

हालांकि प्याज की वार्षिक मूल्य वृद्धि दर इस महीने 62.60 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही।

किसानों पर प्रतिबंध का असर नहीं

सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि निर्यात प्रतिबंध से किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह व्यापारियों का एक छोटा समूह है जो भारतीय तथा बांग्लादेश के बाजारों में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठा रहा है।

सचिव ने कहा, ”उन्हें (जो व्यापारी अलग-अलग कीमतों का फायदा उठा रहे थे) नुकसान होगा, लेकिन इससे फायदा किसे होगा… (वे) भारतीय उपभोक्ता हैं।” उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में प्याज की मुद्रास्फीति जुलाई से दोहरे अंक में रही है, जो अक्टूबर में चार साल के उच्चतम स्तर 42.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।