भारत में जहां दीवाली हर तरफ मनाई जा रही है वहीं कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जहां ये त्योहार नहीं मनाया जाता। इस जगह पर ना तो लक्ष्मी पूजा होती है ना ही पटाके फोड़े जाते हैं।
जहां हर तरफ पटाके फूटते हैं, वहीं इस जगह पर एक दीया नहीं जलाया जाता है। हम बात कर रहे हैं केरल की। जी हां, भारत के केरल राज्य में दीवाली का उत्साह देखने को नहीं मिलता।
अब बताते हैं इसकी वजह। केरल में ओणम से लेकर क्रिसमस और शिवरात्रि तक धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन बात अगर दीवाली की करें, तो यहां इसकी कोई धूम नहीं है।
केरल में सिर्फ कोच्चि में ही दीवाली मनाई जाती है। वहीं आपको घरों के बाहर दीये जलते नजर आएंगे। उसके अलावा आपको कहीं कोई रौनक नहीं दिखेगी।
इसके पीछे कई कारण है। इसमें सबसे मुख्य है केरल में महाबली द्वारा राज करना। महाबली असुर था और उसे ही यहां पूजा जाता है। दीवाली मनाने का कारण है रावण पर राम का विजय। ऐसे में एक राक्षस के हारने को केरल के लोग सेलिब्रेट नहीं करते।
केरल में हिन्दू धर्म मुख्य नहीं है। यहां काफी कम लोग ही हिन्दू हैं, ऐसे में यहां दीवाली की धूम नहीं होती। साथ ही इस समय केरल में मानसून लौटता है। ऐसे में वहां काफी बारिश होती है। इस कारण पटाके और दीये नहीं जलते।
इसके अलावा एक और वजह है। दरअसल, दीवाली से ठीक पहले ओणम मनाया जाता है। इसे वहां धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसे में लोग अपनी सेविंग इसी में खर्च कर देते हैं। इस कारण दीवाली में उनके पास कुछ नहीं बचता।
केरल के अलावा तमिलनाडु में भी दीवाली की रौनक नहीं रहती। दीवाली से पहले वहां नरक चतुर्दर्शी मनाई जाती है। तमिलनाडु के लोग दीवाली की जगह नरक चतुर्दर्शी ही सेलिब्रेट करते हैं।