पेट्रोल और डीजल की बढ़ते दाम ने आम लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। कोई भी दिन ऐसा नहीं होता जब पेट्रोलियम पदार्धों की कीमतों में बढ़ोतरी की बात सामने ना आती हो। इसके चलते कई लोगों ने अपने वाहनों के परिचालन को सीमित कर दिया है। वहीं, कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने इसका विकल्प ढूंढ कर उसे व्यवहार में लाना शुरू कर दिया है। बिहार में बिजली विभाग के एक कर्मचारी तो पेट्रोल की बढ़ती कीमतों से इस कदर परेशान हुए कि उन्हें अपनी गाड़ी छोड़नी पड़ी। शिवहर जिले के अभिजीत तिवारी ने इस वजह से जेब पर भार पड़ने से मोटरसाइकिल चलाना छोड़ दिया है। अब चूंकि उनका काम बिजली बिल की वसूली करना था लिहाजा विकल्प के तौर पर उन्होंने आवागमन का नया तरीका अपना लिया।
अभिजीत तिवारी मोटरसाइकिल की बजाय घोड़े पर सवार होकर उपभोक्ताओं से बिजली बिल वसूलने उनके घर जाते हैं। उनका कहना है कि घोड़ा मोटरसाइकिल से कई मायने में बेहतर है। पेट्रोल की बढ़ती कीमत और बाइक मेंटेनेंस की बजाए घोड़ा पालना ज्यादा किफायती है। शाहपुर के निवासी अभिजीत तिवारी का मानना है कि मोटरसाइकिल का खर्च घोड़े की अपेक्षा दोगुने से भी अधिक बैठता था। घर का बजट बाइक से चलने की इजाजत नहीं दे रहा था इसलिए घोड़े का सहारा लिया। अभिजीत जब बिजली बिल वसूलने के लिए घोड़े पर जाते हैं तो लोगों के लिए कौतूहल का विषय बन जाते हैं। लोग भी मानते हैं कि यह महंगाई का इफेक्ट है।
हालांकि ऐसी सोच रखने वाले अभिजीत तिवारी अकेले नहीं हैं। पिछले दिनों महाराष्ट्र के औरंगाबाद में भी इस तरह का एक मामला सामने आया था। यहां शेख यूसुफ नामक शख्स ने मोटरसाइकिल छोड़कर अपने घर से 15 किलोमीटर दूर अपने काम वाली जगह पर घोड़े से जाना शुरू कर दिया था। शेख युसूफ कोविड-19 के लागू किए गए लॉकडाउन की वजह से काफी परेशान थे। वो रोज 30 किलोमीटर का सफर घोड़े से तय करते हैं।
युसूफ काठियावाड़ी की मानें तो मोटरसाइकिल का मेंटेनेंस उनके लिए बड़ी समस्या बन गई थी। इसलिए उन्होंने बाइक का झंझट छोड़ कर लॉकडाउन के दौरान 40 हजार रुपये में एक घोड़ा खरीदा था। वो अब इसे अपने उपयोग में ला रहे हैं वो इससे घर का सामान लाने के अलावा पारिवारिक समारोहों में भी घोड़े से ही सवारी करते हैं।