प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिपरिषद का इसी हफ्ते विस्तार कर सकते हैं। भाजपा के शीर्ष स्तर पर इसकी कवायद जारी है। विस्तार में लगभग डेढ़ दर्जन नए मंत्रियों को शामिल किए जाने की संभावना है। पहले से ही अतिरिक्त प्रभार और इससे ज्यादा मंत्रालय संभाल रहे कई मंत्रियों का बोझ भी कम किया जा सकता है। फेरबदल में आगामी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों का विशेष ध्यान रखा जाएगा। खबर यह भी है कि पीएम मोदी आज यानी मंगलवार को अपने घर पर एक अहम बैठक करने वाले हैं। इस मीटिंग में बीजेपी चीफ जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, निर्मला सीतारमण के साथ ही अन्य शीर्ष मंत्री शामिल हो सकते हैं।
सूत्रों के मुताबिक सात जुलाई या उसके बाद के दो-तीन दिनों के भीतर कभी भी मंत्रिपरिषद विस्तार का फैसला लिया जा सकता है। विस्तार में सहयोगी दलों को शामिल कर एनडीए को मजबूत करने की कवायद की जाएगी। जदयू को भी इस बार केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बनाया जाएगा। इसके अलावा अन्नाद्रमुक और अपना दल को भी मौका मिल सकता है। क्षेत्रीय संतुलन को साधने के लिए दूरदराज के राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किए जाने की संभावना है।
गौरतलब है कि जब मोदी सरकार बनी थी तो कुल 57 मंत्री बनाए गए थे। इनमें 24 कैबिनेट, नौ स्वतंत्र प्रभार और 24 राज्यमंत्री शामिल थे। हालांकि, इनमें से कई मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रालय हैं। शिवसेना एवं अकाली दल के अलग होने और रामविलास पासवान के निधन के बाद कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 21 रह गई है। एक राज्यमंत्री का भी निधन हुआ। इस प्रकार अभी कुल 53 मंत्री ही हैं, जबकि संविधान के अनुसार मंत्रियों की संख्या 79 तक हो सकती है। बीते एक साल से करोना के चलते मंत्रिमंडल विस्तार की स्थितियां नहीं बन पाई थीं, लेकिन अब टीम को बढ़ाने की तैयारी है।
कई नामों की चर्चा
सूत्रों की मानें तो जिन लोगों को मंत्रिपरिषद के भावी फेरबदल और विस्तार में शामिल किया जा सकता है, उनमें असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, बैजयंत पांडा, राकेश सिंह, नारायण राणे, हिना गावित, संध्या राय, सुनीता दुग्गल, जदयू नेता आरसीपी सिंह, ललन सिंह व संतोष कुमार आदि के नाम मुख्य रूप से चर्चा में हैं।
सहयोगी दलों को मौका
मोदी सरकार में अभी भाजपा के सहयोगी दलों से एक भी कैबिनेट मंत्री नहीं है। वहीं, रिपब्लिकन पार्टी के रामदास आठवले अकेले राज्य मंत्री हैं। ऐसे में कुछ और सहयोगी दलों को भी विस्तार में जगह दी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार इस महीने के आखिर या अगले महीने की शुरुआत में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला विस्तार संभव है। इसमें जदयू, अन्नाद्रमुक, अपना दल और लोजपा के नए धड़े को भी मंत्री पद मिल सकता है।
कई मंत्रियों का बोझ कम होगा
संभावित फेरबदल से मौजूदा आधा दर्जन मंत्री भी प्रभावित हो सकते हैं, जिनके काम का बोझ कुछ कम होगा। अभी केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास चार मंत्रालय-ग्रामीण विकास, पंचायती राज, कृषि और खाद्य प्रसंस्करण हैं। इनमें से खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर के इस्तीफे के बाद उन्हें अतिरिक्त प्रभार के रूप में मिला हुआ है। वहीं, रविशंकर प्रसाद, डॉ. हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी तीन मंत्रालय का कामकाज संभाल रहे हैं। जावड़ेकर को शिवसेना के अरविंद सावंत के सरकार से अलग होने के बाद भारी उद्योग मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार मिला हुआ है, जबकि रामविलास पासवान के निधन के बाद पीयूष गोयल को उपभोक्ता और खाद्य मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
कई मंत्रियों के पास दो मंत्रालय
बीमार चल रहे केंद्रीय राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्रीपाद नायक का आयुष मंत्रालय का कामकाज किरण रिजिजू देख रहे हैं। रिजिजू के पास खेल और युवा मंत्रालय पहले से ही है। स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री प्रह्लाद पटेल के पास संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय हैं, जबकि हरदीप सिंह पुरी आवासन और शहरी विकास के साथ नागरिक उड्डयन मंत्रालय भी देख रहे हैं। नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, स्मृति ईरानी और धर्मेंद्र प्रधान के पास दो मत्रालय हैं।
मोदी ने शाह और संतोष के साथ बैठक की
कैबिनेट में फेरबदल की चर्चा के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के संगठन महामंत्री बीएल संतोष के साथ बैठक की। इस बैठक को मंत्रिपरिषद विस्तार से जुड़े ब्योरे को अंतिम रूप देने से जोड़कर देखा जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि जल्द ही मंत्रिपरिषद में फेरबदल होने की प्रबल संभावना के बीच शाह और संतोष ने रविवार को प्रधानमंत्री के निवास पर उनके साथ कई घंटों तक चर्चा की।