कोलकाता। पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता मुखर्जी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय लगातार अर्पिता से जुड़े कई राज से पर्दा उठा रही है। अब तक अर्पिता के दो ठिकानों पर हुई छापेमारी में 50 करोड़ से ज्यादा की रकम मिल चुकी है। शुरुआत में ईडी ने अर्पिता के घर से 20 करोड़ रुपए कैश बरामद किए थे। इसके बाद दूसरे फ्लैट पर दी गई दबिश के दौरान भी 30 करोड़ नकद और 3 किलो सोना मिला था। इस मामले में ईडी अर्पिता मुखर्जी को भी गिरफ्तार कर चुकी है।
बताया जा रहा है कि प्रवर्तन निदेशालय को अर्पिता मुखर्जी की लग्जरी कारों के बारे में भी पता चला है। लेकिन जांच से पहले 4 कारें डायमंड सिटी कॉम्प्लेक्स से गायब हो गई हैं। इसके अलावा अर्पिता मुखर्जी से जुड़ी 3 कंपनियां भी प्रवर्तन निदेशालय के रडार पर है। फिलहाल ईडी की कार्रवाई में जब्त किए गए पैसे और गहने क्या अर्पिता मुखर्जी को वापस मिलेंगे।
अकूत संपत्ति होगी सरकार के हवाले?
अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से बरामद की गई रकम और गहने प्रवर्तन निदेशालय के पास है इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत नकदी, ज्वैलरी, घर और गाड़ी पर ईडी का कब्जा रहेगा। जब तक इस मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक किसी भी संपत्ति की खरीद-बिक्री नहीं हो सकती है। हालांकि संपत्ति के तौर पर अगर कोई घर जब्त है तो उसमें आरोपी रह सकता है लेकिन किराये या उसे बेच नहीं सकता।
अगर अर्पिता मुखर्जी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत दोषी पाई जाती हैं तो प्रवर्तन निदेशालय सारी संपत्तियों को सरकार के हवाले कर देगी। इसमें सबसे पहले कैश ट्रांसफर किया जाता है। लेकिन अगर अर्पिता मुखर्जी यह दावा करती है कि सारी प्रॉपर्टी उसकी है तो उसे इसके सबूत देने होंगे और यह बताना होगा कि इतनी सारी संपत्ति उन्होंने कैसे और कहां से अर्जित की।