
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को एक अहम निर्णय लेते हुए प्रोफेसर असीम कुमार घोष को हरियाणा का नया राज्यपाल नियुक्त किया है। उनकी नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू होगी। प्रोफेसर घोष अब तक हरियाणा के राज्यपाल रहे बंडारू दत्तात्रेय की जगह लेंगे, जो 18 जुलाई 2021 से यह पद संभाल रहे थे। घोष हरियाणा के 19वें राज्यपाल होंगे।
कौन हैं प्रोफेसर असीम कुमार घोष?
प्रोफेसर असीम कुमार घोष भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जिनका गहरा राजनीतिक और सामाजिक अनुभव रहा है। वे पश्चिम बंगाल के हावड़ा के निवासी हैं और लंबे समय से संघ व भाजपा संगठन से जुड़े रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1999 से 2002 तक पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई।
घोष वर्ष 2023 में हावड़ा लोकसभा सीट से उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर मैदान में उतरे थे, हालांकि उन्हें इस चुनाव में सफलता नहीं मिल पाई थी। वर्तमान में वे पश्चिम बंगाल भाजपा के मार्गदर्शक मंडल का हिस्सा थे और संगठन को रणनीतिक दिशा देने का कार्य कर रहे थे।
हरियाणा से पश्चिम बंगाल का संबंध
प्रोफेसर असीम कुमार घोष हरियाणा के ऐसे तीसरे राज्यपाल होंगे जिनका संबंध पश्चिम बंगाल से है। उनसे पहले बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती और हरी आनंद बरारी इस पद को सुशोभित कर चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि हरियाणा के इतिहास में सबसे लंबा राज्यपाल कार्यकाल बीरेंद्र नारायण चक्रवर्ती के नाम है, जिन्होंने 15 सितंबर 1967 से 26 मार्च 1976 तक यह पद संभाला। वहीं, सबसे छोटा कार्यकाल ओम प्रकाश वर्मा का रहा, जो सिर्फ 6 दिनों (2 जुलाई 2004 से 7 जुलाई 2004) के लिए राज्यपाल रहे थे।
संवैधानिक प्रक्रिया के तहत नियुक्ति
प्रोफेसर घोष की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 155 के तहत की गई है, जिसके तहत राज्यपाल की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस निर्णय की अधिसूचना राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी कर दी गई है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से खास
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि असीम कुमार घोष की यह नियुक्ति केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पश्चिम बंगाल और हरियाणा के बीच एक राजनीतिक और संगठनात्मक पुल के रूप में भी देखी जा सकती है। संघ और भाजपा की विचारधारा को लेकर उनके लंबे अनुभव को देखते हुए यह जिम्मेदारी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।