नई दिल्ली. अयोध्या के राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला पढ़ा. CJI रंजन गोगोई ने यह फैसला पढ़ा…
• जानिए.. इस फैसले से जुड़ी सभी खास बातें!
- ASI की रिपोर्ट में जमीन के नीचे मंदिर के सबूत मिले : SC
- विवादित जमीन रामलला विराजमान को दी गई – CJI
- रामलला को जमीन के लिए ट्रस्ट बनाया जाए – CJI
- मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जाए – CJI
- CJI रंजन गोगोई ने कहा कि केंद्र सरकार 3 महीने में योजना बनाए.
- CJI ने कहा कि ट्रस्ट 3 महीने में मंदिर की योजना तैयार करे.
- 2.77 एकड़ विवादित जमीन पर सरकार का हक रहेगा – SC
- संविधान की नजर में सभी आस्थाएं समान हैं – CJI
- कोर्ट आस्था नहीं सबूतों पर फैसला देती है – CJI
- अंदरूनी हिस्सा विवादित है. हिंदू पक्ष ने बाहरी हिस्से पर दावा साबित किया – CJI
- सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दी जाए. यह जमीन या तो अधिग्रहित जमीन हो या अयोध्या में कहीं भी हो – CJI
- प्राचीन यात्रियों ने जन्मभूमि का जिक्र किया है – CJI
- 1949 तक मुस्लिम मस्जिद में नमाज अदा करते थे – CJI रंजन गोगोई
- समानता संविधान की मूल आत्मा है – CJI
- CJI ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड का दावा विचार योग्य.
- हिंदू पक्ष ने कई ऐतिहासिक सबूत दिए – CJI
- CJI रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सभी धर्मों को समान नजर से देखना सरकार का काम है. अदालत आस्था से ऊपर एक धर्म निरपेक्ष संस्था हैं. 1949 में आधी रात में प्रतिमा रखी गई.
- CJI ने कहा कि इतिहास जरूरी है लेकिन इन सबमें कानून सबसे ऊपर है, सभी जजों ने आम सहमति से फैसला लिया है.
- CJI ने कहा कि आस्था पर जमीन के मालिकाना हक का फैसला नहीं.
- CJI ने कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा कि आधी रात को प्रतिमा रखी गई.
- CJI ने कहा कि राम जन्मभूमि एक न्यायिक व्यक्ति नहीं हैं.
- SC ने रामलला विराजमान को कानूनी मान्यता दी. लेकिन राम जन्मभूमि को न्यायिक व्यक्ति नहीं माना.
- CJI रंजन गोगोई ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि खुदाई में मिला ढांचा गैर इस्लामिक था.
- CJI ने कहा कि निर्मोही अखाड़े और सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे खारिज किए जाते हैं.