अम्बिकापुर..(सीतापुर/अनिल उपाध्याय)..प्रशासन ने छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट में हजारों एकड़ सरकारी जमीन के घोटालेबाज समिति कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया है। समिति कर्मचारी पर अपने एवं अपने परिवार समेत नाबालिगों के नाम फर्जी तरीके से हजारों एकड़ बेशकीमती शासकीय जमीन दर्ज कराने का आरोप था। इसके अलावा उसके ऊपर फर्जी जमीन के आड़ में करोडों रुपये के धान बिक्री समेत बैंकों से सौ करोड़ रुपये कर्ज लेने का आरोप जनप्रतिनिधि समेत ग्रामीणों ने लगाया था।
ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने जनदर्शन में कलेक्टर को ज्ञापन सौंप समिति कर्मचारी पर फर्जी जमीन की आड़ में सरकार को करोड़ो रूपये का चूना लगाने का आरोप लगा जांच की मांग की थी। उन्होंने इस मामले में संलिप्त तत्कालीन राजस्व अमला समेत धान खरीदी केंद्र प्रभारी के विरुद्ध भी जांच एवं कार्यवाही की मांग की थी। इस मामले में लंबी जांच पड़ताल के बाद मामला सही पाए जाने पर प्रशासन ने कड़े कदम उठाते हुए समिति कर्मचारी को बर्खास्त कर दिया है। फिलहाल छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े जमीन घोटाले की जांच अभी जारी है। जांच के बाद इस मामले में जिनकी भी संलिप्तता होगी उनके विरुद्ध भी कार्यवाही तय है। प्रशासन की इस कार्यवाही से सरकारी जमीन के घोटालेबाजों में हड़कंप मच गया है।
बता दें कि धान खरीदी केंद्र नर्मदापुर में पदस्थ लिपिक मोहन यादव आ झौडी यादव निवासी नर्मदापुर ने राजस्व अमले की मिलीभगत से छत्तीसगढ़ के शिमला मैनपाट में लगभग एक हजार एकड़ का जमीन घोटाला किया था। उसने मैनपाट के कंडराजा बरिमा नर्मदापुर एवं उरँगा में स्थित हजारों एकड़ शासकीय जमीन अपने एवं अपने परिवार के सदस्यों समेत नाबालिगों के नाम दर्ज करा इस घोटाले को अंजाम दिया था। करोड़ो रूपये के इस जमीन घोटाले में तत्कालीन राजस्व अमला समेत समिति प्रबंधक ने मुख्य भूमिका निभाई थी। जमीन घोटाले के बाद मोहन यादव बिना धान की खेती किये हजारों एकड़ फर्जी जमीन की आड़ में धान खपाने लगा।
धान खरीदी केंद्र नर्मदापुर का कर्मचारी होने के कारण मोहन यादव बड़ी आसानी से इस फर्जीवाड़े को अंजाम देता था। वो लाखों रुपये का धान फर्जी तरीके से कागजों में खपाया करता था। जिसकी भनक किसी को कानोकान तक नही होती थी। इस मामले में धान खरीदी केंद्र प्रभारी का भी मोहन यादव को पूरा संरक्षण प्राप्त था। खरीदी केंद्र प्रभारी ने धान खरीदी केंद्र में होने वाले इस फर्जीवाड़े पर न कभी रोक नही लगाई न ही उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। उसने अपने संरक्षण में इस फर्जीवाड़े को भरपूर फलने फूलने दिया। जिसकी वजह से समिति का एक अदना सा कर्मचारी पूरे प्रशासन अमला की आँखों मे धूल झोंक फर्जीवाड़े के दम पर सरकार को करोड़ो का चूना लगा दिया।
इसके अलावा समिति कर्मचारी मोहन यादव ने हजारों एकड़ जमीन घोटाले की आड़ में विभिन्न बैंकों से सौ करोड़ों रुपए का ऋण अपने परिवार के नाम से ले चुका है। सरकारी जमीन घोटाले की आड़ में ये फर्जीवाड़ा विगत कई सालों से चलता चला आ रहा था। आगे भी ये फर्जीवाड़ा बदस्तूर जारी रहने वाला था। लेकिन इससे पहले मोहन यादव द्वारा सुनियोजित तरीके से किये गए हजारों एकड़ जमीन घोटाले का भंडाफोड़ हो गया। इस मामले का भंडाफोड़ होते ही मैनपाट में खलबली मच गई। छत्तीसगढ़ के शिमला में हुए करोडों के जमीन घोटाले की जांच की मांग उठने लगी।ग्राम पंचायत उरँगा एवं बरिमा के सरपंच समेत ग्रामीणों ने साल भर पहले जमीन घोटाले की जांच की मांग करते हुए जनदर्शन में कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा था।
ज्ञापन में उन्होंने मोहन यादव पर अपने एवं अपने परिवार के सदस्यों समेत नाबालिगों के नाम सरकारी जमीन फर्जी तरीके से दर्ज कराने का आरोप लगाया था। इसके अलावा इस घोटाले में संलिप्त तत्कालीन राजस्व अमला समेत खरीदी केंद्र प्रभारी पर भी आरोप लगा जांच की मांग की थी। जिसके बाद चले लंबे जाँच पड़ताल के बाद प्रशासन ने जमीन घोटाले में संलिप्त घोटालेबाज समिति कर्मचारी मोहन यादव को बर्खास्त कर दिया है। प्रशासन की इस कार्यवाही के बाद शासन को करोड़ो का चूना लगाने वाले मोहन यादव के विरुद्ध एफआईआर की मांग जोर पकड़ने लगी है।
इसके अलावा तत्कालीन राजस्व अमला के विरुद्ध जांच समेत धान खरीदी केंद्र प्रभारी को भी बर्खास्त करने की मांग उठने लगी है। फिलहाल इस मामले की जांच अभी जारी है। जांच में जो भी इस मामले में संलिप्त पाया जायेगा। उनके विरुद्ध भी प्रशासन कड़े कदम उठाते हुए कठोर कार्यवाही करेगी।
इस संबंध में एसडीएम रवि राही ने बताया कि सरपंच एवं ग्रामीणों द्वारा जमीन घोटाले को लेकर जनदर्शन में शिकायत दर्ज कराई गई थी। जिसके बाद जांच में दोषी पाए जाने पर समिति कर्मचारी मोहन यादव को बर्खास्त कर दिया गया है। अभी इस मामले की जांच प्रकिया जारी है। जांच में जो भी दोषी पाए जायेंगे।उन सब के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जायेगी।