IAS Success Story: बेटी की जिद, पिता का हौसला, और गांववालों का विरोध- फिर भी बनीं IAS अफसर

IAS Success Story, UPSC Success Story, IAS Priya Rani: जब उम्र थी खेलने-कूदने की, तब बिहार की प्रिया रानी ने अपने सपनों के लिए संघर्ष का रास्ता चुना। शिक्षा हर बच्चे का अधिकार है, लेकिन कुरकुरी गांव की इस होनहार लड़की को अपनी पढ़ाई के लिए पूरे गांव से लड़ाई लड़नी पड़ी। गांव के लोग विरोध करते रहे, लेकिन प्रिया ने हार नहीं मानी। उनके पिता और दादा का समर्थन उनकी सबसे बड़ी ताकत बना। आज, प्रिया रानी IAS बनकर लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

गांव की बेटी, जिसने रचा इतिहास

बिहार के फुलवारी शरीफ के कुरकुरी गांव की रहने वाली प्रिया रानी का जन्म एक किसान परिवार में हुआ। उनके पिता अभय कुमार ने बेटी की पढ़ाई के लिए समाज से टकराने का साहस दिखाया। दादाजी सुरेंद्र प्रसाद शर्मा ने भी उन्हें आगे बढ़ने का हौसला दिया। हालांकि, गांव के लोग लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ थे और प्रिया की पढ़ाई रोकने की पूरी कोशिश की।

पटना में शिक्षा की नई शुरुआत

गांव में पढ़ाई असंभव होने पर, प्रिया के पिता और दादा ने उन्हें पटना भेजने का निर्णय लिया। उन्होंने डॉन बॉस्को स्कूल से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और सेंट माइकल स्कूल से 12वीं तक पढ़ाई की। इसके बाद प्रिया ने 2018 में बीआईटी मेसरा से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया।

सिविल सर्विस के लिए छोड़ी शानदार नौकरी

बीटेक के बाद प्रिया को बेंगलुरु में एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी मिली, लेकिन उनका सपना सिविल सर्विस में जाना था। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। यह फैसला परिवार के लिए भी मुश्किल था, लेकिन प्रिया ने अपनी मेहनत से सबको गलत साबित कर दिया।

चार प्रयास, और 69वीं रैंक के साथ IAS बनीं प्रिया रानी

प्रिया ने 2021 में अपने दूसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा पास की और 284वीं रैंक के साथ इंडियन डिफेंस सर्विस में चयनित हुईं। लेकिन उनका लक्ष्य IAS बनना था। उन्होंने अपने चौथे प्रयास में 2023 में 69वीं रैंक हासिल कर IAS बनने का सपना पूरा किया।

अनुशासन और मेहनत से मिली सफलता

प्रिया रोज सुबह 4 बजे उठकर पढ़ाई करती थीं। उन्होंने NCERT की किताबों, अखबारों और इकोनॉमिक्स पर खास ध्यान दिया। उनकी कड़ी मेहनत और अनुशासन ने उन्हें सफलता दिलाई।

युवाओं के लिए संदेश

प्रिया रानी कहती हैं, “सपनों को सच करने के लिए कभी हार मत मानो। हर मुश्किल को अवसर समझकर मेहनत करो।” उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो संघर्षों से घबरा जाता है।

IAS प्रिया रानी की यह सफलता केवल उनकी नहीं, बल्कि उनके पिता और दादा के उस विश्वास की जीत है, जो उन्होंने समाज की रूढ़ियों के खिलाफ दिखाया। उनकी कहानी हर युवा को यह सिखाती है कि सपनों के लिए जुनून और दृढ़ता सबसे बड़ा हथियार है।

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