Haldiram Success Story: जिस हल्दीराम का नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आ जाता है। वो हल्दीराम जो देश के आम आदमी से लेकर खास तक के घर में अपनी जगह बनाने में कामयाब हुआ। वो अब बिकने के कगार पर पहुंच गया। हल्दीराम कंपनी ने गुलाम भारत से लेकर आजादी और अब 21वीं सदी तक का सफर तय किया है। कभी गली के नुक्कड़ से चंद पैसों में शुरू हुई यह कंपनी आज हजारों करोड़ की ब्रांड वैल्यू पर पहुंच गई है। इसे खरीदने की होड़ में विदेशी कंपनियां लाइन लगाकर खड़ी हैं। पिछले दिनों इसके लिए ब्लैकस्टोन इंक के अलावा अबु धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी, सिंगापुर स्टेट फंड जीआईसी ने बोली लगाई थी। लेकिन अब खबर आ रही है कि 78000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन पर ब्लैकस्टोन इंक स्नैक्स ब्रांड में 51 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदने के लिए तैयार है।
खरीदने की दौड़ में टाटा और पेप्सी भी शामिल हुए
घर-घर में पहचान बनाने वाली हल्दीराम को खरीदने की दौड़ में टाटा और पेप्सी भी शामिल हो चुके हैं, लेकिन वैल्यूशन पर बात नहीं बनने पर यह डील फाइनल नहीं हो पाई। दरअसल, डील में देरी होने का कारण यह है कि ब्लैकस्टोन हल्दीराम में 74 प्रतिशत की हिस्सेदारी खरीदना चाहता था। लेकिन हल्दीराम को संभाल रही अग्रवाल फैमिली 51 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी बेचना नहीं चाहती थी। अगर यह डील 40000 करोड़ रुपये में फाइनल होती है तो देश के FMCG सेक्टर की अब तक सबसे बड़ी डील होगी। देश के स्नैक्स मार्केट में अकेले हल्दीराम का 13 प्रतिशत पर कब्जा है।
तीन हिस्सों में बंटा हुआ है हल्दीराम का बिजनेस
मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि डील से पहले हल्दीराम के तीन हिस्सों का विलय होगा। अग्रवाल फैमिली हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड का हल्दीराम स्नैक फूड प्राइवेट लिमिटेड होगा। दरअसल हल्दीराम का बिजनेस तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। नागपुर बिजनेस की जिम्मेदारी हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड और दिल्ली बिजनेस को हल्दीराम स्नैक्स प्राइवेट लिमिटेड संभालता है। इनके मर्जर बाद हल्दीराम स्नैक्स फूड्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से नई कंपनी बनेगी। इसमें दिल्ली के मनोहर अग्रवाल और मधु सुदन अग्रवाल की इसमें हिस्सेदारी 55 प्रतिशत होगी। वहीं नागपुर के कमलकिशन अग्रवाल की हिस्सेदारी 45 प्रतिशत रहेगा।
कैसे हुई हल्दीराम की शुरुआत
आज चंद पैसों से शुरू हुई कंपनी 78000 करोड़ की वैल्यूएशन पर पहुंच गई है। इसके शुरुआत की कहानी भी बड़ी ही दिलचस्प है। हल्दीराम की शुरुआत 1937 में गंगा विशन अग्रवाल ने की थी। बीकानेर की एक गली के नुक्कड़ पर छोटी सी दुकान में उन्होंने भुजिया की बिक्री करना शुरू किया था। गंगा विशन अग्रवाल की मां उन्हें हल्दीराम कहकर बुलाती थीं। इसलिए उन्होंने अपनी दुकान का नाम हल्दीराम भुजिया वाला रख लिया। लोगों को उनकी नमकीन का स्वाद ऐसा पसंद आया कि धीरे-धीरे उनकी नमकीन घर-घर तक पहुंच गई। कंपनी के पास आज स्नैक्स की काफी बड़ी रेंज है।
40 से ज्यादा देशों में फैला है कारोबार
बिजनेस को आगे ले जाने के लिए गंगा विशन अग्रवाल ने बीकानेर के महाराजा डूंगर सिंह के नाम पर भुजिया का नाम ‘डूंगर सेव’ रख दिया। महाराजा के नाम के साथ भुजिया आने लगी तो उनकी बिक्री में जबरदस्त उछाल आया। उस समय 5 पैसा किलो के हिसाब से बिकने वाला डूंगर सेव बीकानेर में मशहूर हो गया। 1941 तक हल्दीराम नमकीन पूरे बीकानेर में मशहूर हो गई। वह एक शादी में कोलकाता गए तो वहां लोगों को उन्होंने अपनी नमकीन का स्वाद चखाया। लोगों ने इसे पसंद किया तो उन्होंने कोलकाता में भी दुकान खोल दी। कोलकाता के बाद 1970 में हल्दीराम का पहला स्टोर नागपुर ओपन हुआ। 1982 में हल्दीराम ने दिल्ली का सफर तय किया। केवल 8वीं पास करने वाले गंगा विशन अग्रवाल द्वारा शुरू की गई हल्दीराम का कारोबार आज 40 से ज्यादा देशों में फैल हुआ है।