जोधपुर। जोधपुर की असिस्टेंट कलेक्टर (ACM) रह चुकीं प्रियंका विश्नोई (33 वर्ष) की मौत के मामले में वसुंधरा हॉस्पिटल के मालिक और डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गई है। डॉ संजय मकवाना, डॉ रेनू मकवाना, डॉ विनोद शैली, डॉ जितेंद्र और समस्त मेडिकल स्टाफ के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
कोर्ट के आदेश पर दर्ज किया गया था केस
जानकारी के अनुसार, पांच सितंबर को प्रियंका को वसुंधरा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। एडवोकेट नमन मोहनोत ने कोर्ट में बताया कि डॉक्टरों ने प्रियंका को एक सामान्य बीमारी बताकर भर्ती किया था। बाद में प्रियंका की हालत बिगड़ने लगी। प्रियंका की हालत बिगड़ने पर उन्हें 7 सितंबर को अहमदाबाद के सिम्स हॉस्पिटल रेफर किया गया। वहां डॉक्टरों ने रिपोर्ट की जांच के बाद स्पष्ट किया कि मरीज को ‘हेमरेज’ था, जिसका पहले उचित इलाज नहीं किया गया।
विशेष समिति का किया गया था गठन
प्रियंका की मौत के बाद इस मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया। समिति की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई। इसमें पाया गया कि वसुंधरा हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने मरीज की गंभीर स्थिति के बावजूद उसे उचित इलाज नहीं दिया।
प्रियंका बिश्नोई को क्या हुआ?
जोधपुर के वसुंधरा अस्पताल के डॉक्टरों पर प्रियंका बिश्नोई के परिजनों की इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया था। जोधपुर में इलाज के दौरान, प्रियंका की हालत बिगड़ती गई, जिससे उनके परिवार को उन्हें आगे की देखभाल के लिए अहमदाबाद स्थानांतरित करना पड़ा, जहां 18 सितंबर, 2024 की रात को दुखद निधन हो गया। प्रियंका बिश्नोई के परिवार ने आरोप लगाया कि ऑपरेशन के दौरान प्रियंका को अत्यधिक एनेस्थीसिया दिया गया था। जिसके बाद प्रियंका कोमा में चली गईं। बाद में प्रियंका बिश्नोई ब्रेन डेड का शिकार हो गईं। साथ ही उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया। ऑपरेशन के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई।