मई से तेल की कीमतों में लगेगी आग! उत्पादन में रोजाना 5 लाख बैरल कटौती करेगा सऊदी अरब

दुबई/नई दिल्ली. अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में आगामी मई महीने से कच्चे तेल की कीमतों में भारी तेजी आने की आशंका जाहिर की जा रही है। इसका कारण यह है कि सऊदी अरब समेत तेल उत्पादक देशों ने रविवार को आगामी मई महीने से साल 2023 के अंत तक कच्चे तेल के उत्पादन में रोजाना करीब 5 लाख बैरल कटौती करने का ऐलान किया है। यह एक ऐसा कदम है, जिससे अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आग लगा सकता है। सऊदी अरब ने कहा है कि वह मई माह से 2023 के अंत तक तेल उत्पादन में प्रतिदिन पांच लाख बैरल की कटौती करेगा।

रूस को होगा फायदा?

बता दें कि रूस-यूक्रेन के बीच पिछले एक साल से भी अधिक समय से युद्ध छिड़ा हुआ है। मीडिया की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने का फायदा रूस को मिल सकता है। हालांकि, इस युद्ध के बाद पूरी दुनिया में महंगाई में काफी इजाफा हुआ है और अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए हैं। हालांकि, रूस से निर्यात होने वाले कच्चे तेल पर पाबंदी लगाने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिका द्वारा उत्पादित कच्चे तेल की भी बिक्री की गई, लेकिन इसकी कीमतें अधिक होने की वजह से वह बाजार में ज्यादा दिन तक टिका नहीं रह सका।

अमेरिका-रियाद में पैदा हो सकता है तनाव

मीडिया की रिपोर्ट की मानें, तो कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने से अमेरिका और रियाद के आपसी रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सऊदी अरब के इस कदम से तेल कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे रियाद और अमेरिका के रिश्तों में और तनाव आ सकता है। यूक्रेन-रूस के युद्ध के चलते पूरी दुनिया पहले से ही महंगाई का सामना कर रही है। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री ने रविवार को कहा कि यह कटौती कुछ ओपेक और गैर-ओपेक सदस्यों के साथ तालमेल स्थापित करने के बाद की जाएगी। हालांकि, उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। यह कटौती पिछले साल अक्टूबर में घोषित कटौती के अतिरिक्त होगी।

सऊदी अरब ने बताया एहतियाती कदम

सऊदी अरब ने इस कदम को तेल बाजार को स्थिर करने के उद्देश्य से ‘एहतियाती कदम’ बताया है। सऊदी अरब और अन्य ओपेक सदस्यों ने पिछले साल तेल उत्पादन में कमी कर अमेरिकी सरकार को नाराज कर दिया था। उस समय अमेरिका में मध्यावधि चुनाव होने वाले थे और महंगाई प्रमुख चुनावी मुद्दा था।