यूपी सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों की वोटिंग सोमवार को समाप्त हो चुकी है। अब महीनों से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने के इंतजार में बैठी कंपनियां अगले कुछ दिनों में 6 रुपये प्रति लीटर तक इजाफा कर सकती हैं।
मामले से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार तेल कंपनियों को धीरे-धीरे करके 5-6 रुपये प्रति लीटर तक रेट बढ़ाने की छूट दे सकती है। दरअसल, ग्लोबल मार्केट में सोमवार को कच्चे तेल का भाव 139 डॉलर प्रति बैरल को भी पार कर गया था, जो जुलाई 2008 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। कच्चे तेल की लगातार बढ़ती कीमतों से कंपनियों पर भी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का दबाव था, क्योंकि उन्हें 12 रुपये प्रति लीटर का नुकसान हो रहा था।
केंद्र-राज्य मिलकर देंगे उपभोक्ताओं को राहत
जानकारों का कहना है कि उत्पाद शुल्क या अन्य टैक्स में कटौती को लेकर अभी कोई बातचीत नहीं होगी। अगर क्रूड के दाम मौजूदा स्तर पर लंबे समय तक बने रहते हैं, तो केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर टैक्स छूट में राहत दे सकती हैं। बढ़ी कीमत का कुछ हिस्सा पेट्रोलियम कंपनियों को भी सहन करना पड़ेगा, ताकि उपभोक्ताओं पर महंगे तेल का ज्यादा बोझ न पड़े।
चुनाव का रिजल्ट आने तक इंजार
तेल कंपनियां विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने तक कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर इंतजार कर सकती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि 10 मार्च के बाद ही पेट्रोल-डीजल कीमतों में रोजाना बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी, जो फिलहाल 4 नवंबर के बाद से स्थिर है। तब क्रूड के दाम 83 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने पर केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 5 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर घटा दिया था। इसके बाद राज्यों ने भी वैट में कटौती कर राहत दी थी।
रुपया गिरने से दोतरफा दबाव
घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल के खुदरा मूल्य पर क्रूड और रुपये का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। फॉरेक्स मार्केट में रुपया अपने रिकार्ड निचले स्तर तक पहुंच गया है, जिससे कंपनियों के लिए कच्चा तेल खरीदना और महंगा हो गया है। डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी से खुदरा मूल्य बढ़ाने का दबाव और बढ़ रहा है। लिहाजा जल्द ही 5-6 रुपये प्रति लीटर का इजाफा देखने को मिल सकता है।