नई दिल्ली। मानसून की बहार पूरे देश में छा चुकी है। देश के सभी राज्यों में बारिश का सिलसिला शुरू हो चुका है। मानसून की यह बारिश कई राज्यों में सुकून की खबर ला रही है तो कहीं यह आफत बनी हुई है। गुजरात और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में भारी बारिश के चलते बाढ़ की समस्या हो गई है।
वहीं बीते सोमवार को भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कई राज्यों में अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि 25 से 29 जुलाई के दौरान उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा के अलग-अलग इलाकों में भारी वर्षा के साथ-साथ हल्की बारिश भी हो सकती है। आईएमडी की ट्वीट के मुताबिक 25, 28 और 29 जुलाई को असम व मेघालय में और अरुणाचल प्रदेश में 28 और 29 जुलाई को बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
मौसम विभाग ने 25 जुलाई से अगले 4 दिनों तक राजस्थान में भारी बारिश का अनुमान जताया है। मौसम विभाग का अनुमान है कि मानसून ट्रफ लाइन उत्तर की तरफ खिसकने से 27 जुलाई से देश के उत्तरी भाग में बारिश की गतिविधियां बढ़ जाएंगी। वहीं 24 से 26 जुलाई तक गुजरात राज्य, राजस्थान और पश्चिम मध्य प्रदेश में छिटपुट व मध्यम बारिश के साथ-साथ बिजली गिरनी के भी संभावना है। इसके अलावा मध्य महाराष्ट्र के उत्तरी कोंकण और आसपास के घाट क्षेत्रों में भी 27 से 28 जुलाई के दौरान बारिश के साथ-साथ बिजली गिरने की संभावना है। वहीं 28 जुलाई को पंजाब में बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है।
आईएमडी ने ट्वीट कर बताया है कि 26 जुलाई को यानी कि आज चरखी दादरी, मट्टनहेल, झज्जर (हरियाणा) के आसपास और आसपास के क्षेत्रों में हल्की से मध्यम तीव्रता के साथ गरज के साथ बारिश होगी।
वहीं दिल्ली के अलग-अलग स्थानों (पश्चिम विहार, पंजाबी बाग, राजौरी गार्डन, पटेल नगर, राष्ट्रपति भवन) के आसपास और आसपास के इलाकों से मध्यम से भारी बारिश के साथ गरज के साथ बारिश की चेतावनी वापस ले ली गई है। अगले 1-2 घंटों के दौरान नारनौल (हरियाणा) बहाजोई, टूंडला (यूपी) पिलानी, कोटपुतली (राजस्थान) के आसपास और आसपास के क्षेत्रों में हल्की तीव्रता रुक-रुक कर बारिश व बूंदा बांदी होने की संभावना जताई है।
गौरतलब है कि भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने गुरुवार तक हैदराबाद और आसपास के जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इसमें न केवल राज्य के उत्तर और पूर्वी हिस्से शामिल हैं बल्कि तेलंगाना के मध्य भाग भी शामिल हैं जहां कृष्णा नदी में बहने वाली विभिन्न धाराओं की के उफान पर पहुंचने से काफी नुकसान हुआ था।