नई दिल्ली. देश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या कम जरूर हुई है लेकिन खतरा अभी टला नहीं है. कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामले एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. कोरोना महामारी के बारे में जानकारी जुटा रहे वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि वायरस संक्रमित मरीजों के फेफड़ों को सबसे पहले नुकसान पहुंचाता है. वायरस के चलते खून काफी गाढ़ा हो जाता है और जमने लगता है. खून गाढ़ा हो जाने के कारण मरीजों के दिल तक नहीं पहुंच पाता है, जिसके कारण मरीज की मौत हो जाती है. ये खुलासा हरियाणा स्वास्थ्य विभाग की ओर कोरोना से होने वाली मरीजों की मौत की जांच के दौरान हुआ है.
देश में भले ही कोरोना संक्रमण के मामले कम हुए हों, लेकिन कई राज्यों में ये आंकड़े एक बार फिर बढ़ने लगे हैं. हरियाणा में कोरोना से मरने वालों की संख्या 2006 तक पहुंच गई है. कोरोना के बढ़ते संक्रमण और उनसे होने वाली मौत पर अब डॉक्टरों की टीम उनका डेथ ऑडिट कर रही है. इस ऑडिट के आधार पर ही अलग अलग अस्पतालों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट पर रह रहे 313 मरीजों की सेहत पर विशेषज्ञों की विशेष नजर है.
कोरोना मरीजों पर नजर रख रहे डॉक्टर राजेंद्र राय के मुताबिक संक्रमित मरीजों के सीने में इंफेक्शन दिखता है, जिसके कारण उनका सीटी स्कैन कराया जाता है. डॉ राय ने बताया कि अभी भी हमारी टीम ने 75 फीसदी तक खराब हो चुके फेफड़े वाले मरीजों की जान भी बचाई गई है. जिन मरीजों के फेफड़े 75 फीसदी से ज्यादा खराब हो चुके हैं उन्हें बचाना काफी मुश्किल होता है.
कोरोना मरीजों की जांच में पता चला है इन मरीजों के फेफड़े उसी तरह से खराब हो जाते हैं जैसे किसी गंभीर टीवी के मरीज के होते हैं. ऐसे मरीजों की जान बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है. यही कारण है कि कोरोना उन लोगों पर तेजी से हमला करता है, जिन्हें पहले से काफी गंभीर बीमारी चल रही है. रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में कोरोना केस बढ़ने की वजह है लोगों का इस बीमारी को छुपाना. विभिन्न जिलों में यह बात सामने आ रही है कि जुकाम, बुखार, खांसी, गला खराब इत्यादि लक्षण वाले मरीज अब सरकारी अस्पतालों में अपना कोविड जांच करवाने से परहेज कर रहे हैं.