नई दिल्ली. खाद्य वस्तुओं की कीमतों में जारी महंगाई के कारण आमआदमी परेशान हो गया है। अगस्त के महीने में महंगी टमाटर, प्याज, अदरक और हरी मिर्च के कारण पूरी थाली का जायका खराब हो गया। टमाटर की ऊंची कीमतों के कारण अगस्त में शाकाहारी थाली की कीमत एक साल पहले की तुलना में 24 प्रतिशत बढ़ गई है। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। हालांकि, क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स की मासिक ‘रोटी चावल दर’ रिपोर्ट में बृहस्पतिवार को कहा गया कि जुलाई की तुलना में लागत में थोड़ी कमी आई है। अगस्त में उच्च आधार पर शाकाहारी थाली की कीमत में माह-दर-माह मामूली गिरावट आई है और मुख्य रूप से टमाटर की कीमतों में मजबूती के कारण इस वित्त वर्ष में दूसरी बार इसमे सालाना आधार पर बढ़ोतरी हुई है। इसमें कहा गया है कि मांसाहारी थाली की कीमत साल-दर-साल आधार पर 13 प्रतिशत बढ़ी है।
मांसाहारी थाली में कम हुई वृद्धि
शाकाहारी थाली की कीमत में 24 प्रतिशत की वृद्धि में से 21 प्रतिशत वृद्धि का कारण केवल टमाटर की कीमत है, जो साल-दर-साल 176 प्रतिशत बढ़कर अगस्त में 102 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई, जबकि पिछले साल अगस्त में यह 37 रुपये प्रति किलोग्राम थी। रिपोर्ट के अनुसार, मांसाहारी थाली के लिए, वृद्धि कम थी क्योंकि ब्रॉयलर की कीमत, जो लागत में 50 प्रतिशत से अधिक का योगदान करती है, में सालाना आधार पर एक से तीन प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है कि अगस्त में एक साल पहले की तुलना में वनस्पति तेल की कीमत में 17 प्रतिशत और आलू की कीमत में 14 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे थाली की लागत कुछ हद तक कम हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि सितंबर में थाली की कीमतें गिर सकती हैं क्योंकि टमाटर की खुदरा कीमत महीने-दर-महीने आधी होकर 51 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई हैं। इसके अलावा, 14.2 किलोग्राम एलपीजी सिलेंडर की कीमत, जो अगस्त में 1,103 रुपये थी, सितंबर से घटाकर 903 रुपये कर दी गई है, इससे उपभोक्ताओं को अधिक राहत मिल सकती है।
रिजर्व बैंक महंगाई दर को चार प्रतिशत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध: गवर्नर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर लाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि आरबीआई जोखिमों पर नजर रखेगा, क्योंकि कीमतों के प्रबंधन पर कई बार वैश्विक आपूर्ति से संबंधित झटके लग सकते हैं। शक्तिकांत दास ने दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में एक व्याख्यान में कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए सतर्क है कि मुद्रास्फीति के संबंध में एक घटना का दूसरी घटना पर और ऐसे ही क्रमिक प्रभाव न पड़ सकें। सरकार ने केंद्रीय बैंक को मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी सौंपी है, जिसमें ऊपर-नीचे की ओर दो प्रतिशत तक घट-बढ़ हो सकती है।
खाद्य कीमतों का झटका से बढ़ी मुद्रास्फीति
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बार-बार खाद्य कीमतों का झटका लगने की घटनाएं मुद्रास्फीति के स्थिर होने में जोखिम पैदा करती हैं। ऐसा फरवरी 2022 से चल रही है। हम इस पहलू पर भी नजर रखेंगे। उन्होंने कहा कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई की गंभीरता और अवधि को सीमित करने में सरकार द्वारा लगातार और समय पर किए गए आपूर्ति पक्ष के हस्तक्षेप महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में मूल्य स्थिरता के लिए किसी भी जोखिम के प्रति सतर्क रहना होगा और समय पर उचित कदम उठाने जरूरी हैं। शक्तिकांत दास ने कोई समयसीमा बताए बिना कहा कि हम मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के लक्ष्य पर लाने के लिए मजबूती से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सब्जियों की कीमतों की वजह से जुलाई में मुद्रास्फीति 7.4 प्रतिशत पर पहुंची गई थी, लेकिन अब यह घटने लगी है।