Chhattisgarh: टीएस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने के बाद उपजे सवाल.! सिंहदेव के बिना राह थी मुश्किल, हाथ से निकल जाती ये सीटें… MLA सिंहदेव के बयान के क्या है मायने

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Chhattisgarh Politics: क्या छत्तीसगढ़ में कमजोर हो रही थी कांग्रेस? जिसकी सरकार उसे क्या संकट? 4 साल बाद डिप्टी सीएम का पद, आखिर ऐसा क्या हुआ? ढाई-ढाई साल सीएम का फॉर्मूला था क्या? सिंहदेव के बिना सरगुजा की सीटें हाथ से निकल सकती थी क्या? ऐसे कई सवाल छत्तीसगढ़ की एक महिला विधायक के बयान के बाद उपज रहे है. हाल ही में कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेस नेता व स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे टीएस सिंहदेव को छत्तीसगढ़ का डिप्टी सीएम बनाया है. प्रदेश के प्रथम डिप्टी सीएम बनने का गौरव सिंहदेव के नाम हो गया है. अब सवाल कि चार साल बाद अचानक कांग्रेस ने ऐसा फैसला क्यों लिया? ये काम पहले भी किया जा सकता था? वैसे भी छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव (TS SinghDeo) के बीच ढाई-ढाई साल सीएम वाले फॉर्मूले की चर्चा 2018 में चुनाव संपन्न होने के साथ ही होने लगी थी. हालांकि, ऐसा कुछ नहीं था, ये बात दोनों नेताओं ने कई बार मीडिया से कहा. अब अंदर की बात कौन जानें. लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव से 4 महीने पहले का कांग्रेस ने सिंहदेव को डिप्टी सीएम बनाकर बड़ा दांव खेला. इससे ये तो पता चल गया कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अंदरखाने में ढाई-ढाई साल सीएम वाला कुछ किस्सा तो था? जो सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने के बाद समाप्त हो गया है. इसके फैसले के साथ ही कांग्रेस हाईकमान ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन का बड़ा डैमेज कंट्रोल कर लिया है.

अब बात छत्तीसगढ़ के उत्तरी छोर से. कोरिया जिले के बैकुंठपुर विधानसभा से अंबिका सिंहदेव (Ambika Singhdeo) विधायक हैं. उन्होंने प्रदेश में डिप्टी सीएम की नियुक्ति को लेकर ऐसा बयान दिया है. जिससे पता चलता है कि टीएस सिंहदेव के बिना कांग्रेस (Congress) की राह मुश्किल है, यही नहीं महिला विधायक के बयान से लग रहा है कि उन्हें पता है कि सिंहदेव के बिना सरगुजा संभाग की सीटें जीत पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. ऐसा हो भी क्यों ना. टीएस सिंहदेव के सीएम नहीं बनने पर “सरगुजिहा सरकार” का सपना टूटा था, जिससे सरगुजा के मतदाताओं में निराशा थी और अब डिप्टी सीएम बनने पर सरगुजा संभाग में ही सबसे ज्यादा खुशियां मनाई गई है. बैकुंठपुर विधायक अंबिका सिंहदेव ने मीडिया से कहा कि “ढाई-ढाई साल वाला मुद्दा था. हमें इसकी जानकारी मीडिया से मिली है. ये ऑथेंटिक है या नहीं? इसके बारे में नहीं पता, इसलिए इसपर कुछ नहीं कहना है. अभी साढ़े चार साल बीतने के बाद अगर हमारे पार्टी हाईकमान डिसीजन ली है कि हमारे स्टेट में डिप्टी सीएम की जरूरत है. तो ये देखते हुए, पार्टी की मजबूती को मद्देनजर रखते हुए ये निर्णय लिया गया है. और इससे जो मजबूती मिलेगी, उसका असर सिर्फ सरगुजा संभाग ही नहीं, पूरे प्रदेश में पड़ेगा.” बता दें कि, संसदीय सचिव अंबिका सिंहदेव टीएस सिंहदेव समर्थक मानी जाती है. श्रीमती सिंहदेव छत्तीसगढ़ के पहले वित्त मंत्री और कोरिया राज परिवार के प्रमुख रहे रामचंद्र सिंहदेव की भतीजी है.

अब टीएस सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने के बाद भाजपा (BJP) का क्या रिएक्शन है ये आपको बताते हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को उपमुख्यमंत्री बनाने का अधिकार नहीं है. यह अधिकार मुख्यमंत्री का है, राज्यपाल का है. जिसे ढाई साल मुख्यमंत्री बनाने का वादा था उसे 4 महीने के लिए उपमुख्यमंत्री बनाया जाना टीएस सिंहदेव का अपमान है. चला चली की बेला में कांग्रेस ने अपने अंतरकलह को मिटाने का यह प्रयास किया है. कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ को भ्रष्टाचार का, नशे का, अराजकता का गढ़ बना रखा है. जनता के आक्रोश से कांग्रेस डरी हुई है. इन सब फैसलों से अब कुछ नहीं होने वाला.

नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल (Narayan Chandel) ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की हिटलरशाही और एकला चलो की नीति से जनता त्रस्त है और कांग्रेस के अंदर इसको लेकर अंतर कलह मचा हुआ था. उस दागदार चेहरे को साफ करने के लिए अपमानजनक ढंग से 3 माह के लिए टीएस सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह (Dr. Raman Singh) ने भी तंज कसते हुए लिखा “डूबने लगी कश्ती तो कप्तान ने कुछ यूं किया, सौंप दी है पतवार आधी दूसरे के हाथ में.” बहरहाल, राजनीति में बयानबाज़ी तो चलती रहती है. यहां बात 2018 चुनाव में किंग मेकर रहे टीएस सिंहदेव की हो रही है. जिसके बदौलत 15 साल बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सत्ता में वापस लौटी है. लेकिन क्या अब 2023 के चुनाव में सिंहदेव फिर किंग मेकर बनेंगे? क्योंकि सिंहदेव ने कई बार मीडिया से बात करते हुए ये सिग्नल दिया है कि अब पहले जैसा चुनाव लडने का मन नहीं है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे है कि अबकी चुनाव में सिंहदेव पहले की तरह एनर्जी के साथ काम करेंगे या अपने भतीजे आदित्येश्वर शरण सिंहदेव को ग्राउंड लेवल पर उतारकर उसके राजनीतिक करियर को आगे बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग देंगे.